संजय शुक्ला
जौनपुर। अय्यामे अज़ा की आखिरी तारीख को शहर के दो मोहल्लों से जुलूस निकाला गया। अंजुमनों ने नौहाख्वानी और सीनाजनी कर इमाम हुसैन को याद किया। इसके पहले रविवार को रातभर लोगों ने अपने घरों में नौहा मातम किया। कई इलाकों के इमाम चौक पर ताजिया भी रखा गया। हर घरों और इमामबाड़ों से यही सदा आ रहीं थी। अलविदा हुसैन मेरे अलविदा हुसैन, सालभर जो जिएगा वो फिर रोएगा। नौहाख्वानी के साथ लोगों ने अश्कों का नजराना पेश किया।
सोमवार को शहर के ख्वाजादोस्त स्थित सैयद गुलाम अब्बास के इमामबाड़े से अलम, तुर्बत और दुलदुल का जुलूस निकाला गया। जुलूस की मजलिस को आजमगढ़ के मौलाना सैयद मोहम्मद मेहंदी मेहंदवी ने खिताब किया। साथ ही कहा कि इमाम हुसैन ने जुल्म के आगे झुके नहीं बल्कि उससे लड़कर अपनी शहादत पेश कर दी। इसके बाद 11वें इमाम की तुर्बत निकाली। इसके साथ अलम और दुलदुल भी निकला। इस दौरान लोगों ने जियारत किया। जुलूस में तकरीर डा. कमर अब्बास ने भी खिताब किया। जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ सिपाह में जाकर खत्म हुआ। रास्ते में एक तकरीर मोहम्मद हसन ने खिताब किया।
जुलूस नबी साहब जाकर संपन्न हुआ। इसके बाद सिपाह मोहल्ला स्थित इमामबाड़े से जुलूस निकला। इसमें सोजख्वानी गौहर अली ज़ैदी साहब उनके साथियों ने किया। मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना मोहम्मद मेंहदी मेंहदवी ने 11वें इमाम की शहादत का दिलसोज मंज़र पेश किया। जुलूस में शबीहे अलम, दुलदुल और अमारियां निकाली गईं। इसी दौरान जर्रार हुसैन इममाबाड़े से भी जुलूस निकाला गया। जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ नबी साहब के इमाम बाड़े में पहुंचा। यहां पर तकरीर करते हुए डा. कमर अब्बास ने कहा कि अय्यामे अजा का आज आखिरी दिन है इमाम पर दिलभर के रो लीजिये।