उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में सवारी सुरक्षा और परिवहन व्यवस्था को अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। जल्द ही प्रदेश के सभी बैटरी चालित रिक्शा, ऑटो और टैम्पो में क्यूआर कोड अनिवार्य किया जाएगा। इस क्यूआर कोड को स्कैन करते ही यात्रियों को वाहन चालक और मालिक की पूरी जानकारी मिल सकेगी। यह पहल न केवल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, बल्कि अवैध वाहनों और अपराध की रोकथाम में भी मददगार साबित होगी। क्यूआर एक विशेष प्रकार का बारकोड होता है जिसे मोबाइल फोन के कैमरे से स्कैन किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग द्वारा विकसित इस सिस्टम के अंतर्गत, हर बैटरी रिक्शा, ऑटो और टैम्पो पर एक यूनिक क्यूआर कोड लगाया जाएगा। इसे स्कैन करते ही यात्री को मोबाइल स्क्रीन पर उस वाहन के चालक का नाम, फोटो और ड्राइविंग लाइसेंस नंबर, वाहन का पंजीकरण नंबर, वाहन स्वामी का नाम, वाहन का फिटनेस और बीमा स्टेटस, परमिट की वैधता पता चल जायेगी।
गौरतलब हो कि उत्तर प्रदेश के शहरी इलाकों में लाखों की संख्या में ई-रिक्शा और ऑटो-टेंपो चलते हैं। इनमें से कई अनियमित और बिना वैध कागजात के सड़कों पर दौड़ रहे हैं। कई बार आपराधिक गतिविधियों में शामिल वाहन और ड्राइवर पहचान से बाहर रहते हैं जिससे जांच में समय लगता है और यात्रियों की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है। क्यूआर कोड सिस्टम लागू होने से अब किसी भी सवारी को वाहन की प्रामाणिकता जांचने के लिए केवल मोबाइल निकालकर कोड स्कैन करना होगा। अगर कोई समस्या आती है तो कोड में दिए गए विवरण से यात्री तुरंत संबंधित विभाग को शिकायत दर्ज कर सकता है। यह नई व्यवस्था खासकर महिलाओं के लिए राहत की बात है। सार्वजनिक परिवहन में सफर करते समय महिलाएं अक्सर असुरक्षित महसूस करती हैं। क्यूआर कोड से वाहन और चालक की जानकारी मिल जाने पर वे न केवल आश्वस्त हो सकेंगी, बल्कि किसी भी आपात स्थिति में प्रशासन को तुरंत सूचना दे सकेंगी।
इस व्यवस्था से राज्य सरकार को ई-रिक्शा और ऑटो चालकों का एक व्यवस्थित डिजिटल डाटाबेस तैयार करने में भी मदद मिलेगी। इससे भविष्य में ड्राइवरों के लिए प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता, बीमा जैसी योजनाओं को लागू करना आसान होगा। साथ ही गैर-कानूनी और बिना परमिट चल रहे वाहनों को चिन्हित कर उन पर कार्रवाई भी की जा सकेगी। कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में ई-रिक्शा और ऑटो में क्यूआर कोड लगाने की योजना न केवल यात्री सुरक्षा की दिशा में एक समझदारी का कदम है, बल्कि यह स्मार्ट ट्रांसपोर्ट व्यवस्था की ओर बढ़ता हुआ कदम भी है। जब तकनीक का उपयोग जनहित में किया जाय तो न केवल व्यवस्था में सुधार आता है, बल्कि नागरिकों का विश्वास भी बढ़ता है। यह पहल पूरे देश के लिए एक अनुकरणीय मॉडल बन सकती है।
अजय कुमार
वरिष्ठ पत्रकार लखनऊ
मो.नं. 9335566111