नई दिल्ली। देश के 79वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय वायुसेना के जांबाज़ अधिकारी ग्रुप कैप्टन राकेश यादव को मेंशन-इन-डिस्पैचेज वीरता पुरस्कार से अलंकृत करने की घोषणा की। यह सम्मान उन्हें ऑपरेशन सिंदूर में दिखाई गई असाधारण वीरता, साहस और नेतृत्व क्षमता के लिए प्रदान किया गया है।
ग्रुप कैप्टन यादव का सैन्य जीवन अनुकरणीय उपलब्धियों से भरा रहा है। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्रतिष्ठित सैनिक स्कूल रीवा में प्राप्त की और वर्ष 1998 में पास आउट हुए। इसके बाद 2001 में वे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खड़कवासला से स्नातक होकर भारतीय वायुसेना में शामिल हुए। हैदराबाद स्थित एयर फ़ोर्स अकादमी में प्रशिक्षित होकर उन्होंने अपनी उड़ान करियर की शुरुआत की।
उन्होंने एएन–32 और एचएस–748 विमान उड़ाते हुए कश्मीर, लेह और सियाचिन ग्लेशियर जैसे कठिनतम क्षेत्रों में सेना को आपूर्ति और सहयोग मिशनों को अंजाम दिया। 3000 घंटे की उड़ान सेवा पूरी करने वाले ग्रुप कैप्टन यादव की गिनती भारतीय वायु सेना के दक्ष और निर्भीक पायलटों में होती है।
उनकी सेवाएँ देश के विभिन्न हिस्सों में रही हैं। चंडीगढ़, वडोदरा, नई दिल्ली, आगरा और भुज में महत्वपूर्ण दायित्व निभाने के बाद वे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रशिक्षक तथा एयर मुख्यालय में संयुक्त निदेशक (ऑपरेशन्स) रहे। 2012 से 2016 तक वे आगरा में एएन–32 विमान उड़ाने के कार्य में संलग्न रहे, जबकि 2021 से 2024 तक उन्होंने वहीं एक कॉम्बैट स्क्वाड्रन की कमान संभाली। वर्तमान में वे एयर फ़ोर्स स्टेशन भुज के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं।
उनकी इस उपलब्धि पर सैनिक स्कूल रीवा और एनडीए के सहपाठियों तथा परिवारजनों ने गर्व व्यक्त किया है। मूल रूप से वे उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जनपद के मदारभरी गाँव (अयोध्या के समीप) के निवासी हैं, जहाँ उनके पिता श्याम लाल यादव रहते हैं। गाँव और जिले के लोग भी अपने सपूत की इस उपलब्धि पर हर्ष और गौरव का अनुभव कर रहे हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सैन्य इतिहास का एक अहम मोड़ था जिसने आतंकवाद-निरोधक अभियानों में भारत को प्रतिक्रियात्मक से सक्रिय रणनीति की ओर अग्रसर किया। इसने तीनों सेनाओं के बीच समन्वय और भारतीय सशस्त्र बलों की उन्नत क्षमताओं को भी उजागर किया। राष्ट्रपति द्वारा घोषित यह सम्मान न केवल ग्रुप कैप्टन यादव की बहादुरी का प्रमाण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत की स्वतंत्रता और सुरक्षा उसके वीर सैनिकों की निस्वार्थ सेवा और बलिदान से ही सुनिश्चित है।