लाल किले से प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन एक संदेश देता है, भारत अब केवल प्रतिक्रियावादी राष्ट्र नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर, स्वाभिमानी और भविष्य की ओर बढ़ता हुआ आत्मविश्वासी राष्ट्र है। मतलब साफ है आने वाले वर्षों में देश की नीतियों और दिशा का आधार बनेगा। इसमें सुरक्षा का सुदर्शन चक्र है, युवाओं के रोजगार का सपना है, किसानों के हितों की गारंटी है और आत्मनिर्भर तकनीकी भारत का खाका है। या यूं कहे 79वें स्वतंत्रता दिवस पर खींची गई यह तस्वीर केवल घोषणाओं की सूची नहीं, बल्कि '2047 के समृद्ध भारत' की आधारशिला है। यह भाषण न केवल समय की दृष्टि से ऐतिहासिक रहा, बल्कि विषयवस्तु में भी व्यापक और गहन था। इसमें स्वदेशीकरण, आत्मनिर्भर भारत, युवाओं के लिए रोजगार, किसानों के हित, राष्ट्रीय सुरक्षा, डिजिटल नवाचार और जनसांख्यिकीय संतुलन जैसे मुद्दों पर स्पष्ट दृष्टिकोण और ठोस घोषणाएं शामिल थीं।
सुरेश गांधी
भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाल किले से दिया गया 103 मिनट का संबोधन न केवल उनके कार्यकाल का सबसे लंबा भाषण था, बल्कि इंदिरा गांधी का रिकॉर्ड तोड़ने वाला रहा। देश की चुनौतियों, अवसरों और भविष्य की संभावनाओं को स्पष्ट रूप से सामने रखने वाला एक 'रोडमैप' भी था। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में जहां सुरक्षा और राष्ट्रहित के मुद्दों पर सख्त संदेश दिया, वहीं अर्थव्यवस्था, रोजगार, जनसांख्यिकीय संतुलन और आत्मनिर्भरता की दिशा में ठोस योजनाओं का ऐलान किया। इस भाषण में आत्मनिर्भर भारत, सुरक्षित भारत और समृद्ध भारत की स्पष्ट झलक थी। प्रधानमंत्री ने श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र का उल्लेख करते हुए आयरन डोम जैसी स्वदेशी सुरक्षा प्रणाली 'सुदर्शन चक्र मिशन' की घोषणा की, तो दूसरी ओर दिवाली से पहले जनता को राहत देते हुए जीएसटी दरों में कटौती और टैक्स ढांचे के सरलीकरण का वादा किया। रोजगार, तकनीकी आत्मनिर्भरता, किसानों के हित और वैश्विक व्यापारिक दबावों पर भी उन्होंने अपनी सरकार की स्पष्ट नीति को सामने रखा। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण का बड़ा हिस्सा राष्ट्रीय सुरक्षा को समर्पित किया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत अब आतंकवाद और उसके संरक्षकों को बख्शने वाला नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए उन्होंने पाकिस्तान की जमीन पर हुए हालिया हमले को भारत के धैर्य के बाद की कठोर कार्रवाई बताया।
पीएम मोदी ने कहा कि जैसे महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण का सुदर्शन चक्र निर्णायक बना था, उसी तरह 21वीं सदी का भारत भी मिशन सुदर्शन चक्र के रूप में अपनी सुरक्षा ढाल विकसित करेगा। यह प्रणाली न केवल आतंकवादियों के ठिकानों को ध्वस्त करेगी बल्कि भारत की सीमाओं और नागरिक क्षेत्रों को भी अभेद्य सुरक्षा कवच प्रदान करेगी। प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों और युवाओं से अपील की कि इस मिशन का अनुसंधान और निर्माण भारत में ही हो। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने एक बेहद संवेदनशील मुद्दे को भी प्रमुखता दी, देश की जनसांख्यिकी में हो रहा असंतुलन। उन्होंने कहा कि एक सोची-समझी साजिश के तहत घुसपैठिए न केवल सीमावर्ती इलाकों की तस्वीर बदल रहे हैं बल्कि देश की सुरक्षा और सामाजिक संतुलन को भी चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने आदिवासियों की जमीन हड़पने और भोली-भाली महिलाओं-बेटियों को निशाना बनाने जैसे अपराधों पर सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि भारत अब इसे सहन नहीं करेगा। इस चुनौती का समाधान खोजने के लिए उन्होंने 'हाईपावर डेमोग्राफी मिशन' गठित करने की घोषणा की, जो बदलती जनसंख्या संरचना का अध्ययन कर ठोस सुझाव देगा। प्रधानमंत्री मोदी ने अर्थव्यवस्था को राहत देने और जनता को उत्सवपूर्वक खुशखबरी देने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि दिवाली से पहले जीएसटी ढांचे में बड़े सुधार किए जाएंगे। मौजूदा टैक्स स्लैब्स की समीक्षा होगी और रोजमर्रा की जरूरत की चीजें सस्ती होंगी। यह घोषणा लंबे समय से मांग कर रहे उद्योग जगत और मध्यम वर्ग दोनों के लिए बड़ी राहत है।
जीएसटी में व्यापक सुधार की दिशा में यह पहल न केवल उपभोक्ताओं को फायदा देगी, बल्कि व्यापार जगत में पारदर्शिता और सरलता भी लाएगी। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का बड़ा हिस्सा युवाओं को समर्पित किया। उन्होंने “प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना“ की घोषणा की, जिसके तहत एक लाख करोड़ रुपये का फंड बनाया जाएगा। इस योजना से करीब 3.5 करोड़ युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। पहली नौकरी करने वालों को 15,000 रुपये की आर्थिक सहायता देने का वादा करके उन्होंने युवाओं को सीधे लाभ पहुंचाने की कोशिश की है। यह योजना विशेषकर मैन्युफैक्चरिंग, टेक्सटाइल्स और छोटे-मझोले उद्यमों के लिए संजीवनी साबित हो सकती है। प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा और तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर खास जोर दिया। उन्होंने साफ कहा कि भारत को अब विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम करनी होगी। उन्होंने वैज्ञानिकों और इंजीनियरों से आह्वान किया कि भारत के अपने फाइटर जेट्स के लिए स्वदेशी इंजन विकसित किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी घोषणा की कि भारत के अपने सेमीकंडक्टर चिप्स इसी साल के अंत तक बाजार में उपलब्ध होंगे। यह घोषणा भारत की तकनीकी यात्रा का ऐतिहासिक पड़ाव साबित हो सकती है। दुनिया जिस 'टेक्नोलॉजी ड्राइव सदी' की ओर बढ़ रही है, उसमें भारत को केवल उपभोक्ता नहीं बल्कि निर्माता बनने की चुनौती है, और प्रधानमंत्री ने इसे स्वीकार किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा, तब तक उसकी परमाणु ऊर्जा क्षमता को 10 गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। सौर ऊर्जा क्षमता पिछले 11 वर्षों में 30 गुना बढ़ चुकी है और वर्तमान में 10 नए परमाणु रिएक्टर कार्यरत हैं। उन्होंने ऊर्जा स्वतंत्रता को आत्मनिर्भर भारत की सबसे बड़ी शर्त बताते हुए कहा कि आयातित ईंधन पर निर्भर रहना अब भारत के हित में नहीं है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने किसानों के मुद्दे पर अमेरिका और वैश्विक दबावों को सीधे संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत कभी किसानों के हितों से समझौता नहीं करेगा। डेयरी सेक्टर को विदेशी दबाव में खोलने से इनकार करते हुए उन्होंने साफ कर दिया कि आत्मनिर्भर भारत का आधार हमारे किसान, पशुपालक और मछुआरे ही हैं। उन्होंने किसानों को आत्मनिर्भर भारत की रीढ़ बताते हुए उन्हें हर नीति के केंद्र में रखने का भरोसा दिलाया। अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने अमेरिका के टैरिफ युद्ध और रूस से तेल आयात पर लगाए गए नए शुल्कों का भी अप्रत्यक्ष रूप से जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत अपने हितों की रक्षा के लिए किसी भी दबाव के आगे झुकेगा नहीं। यह संदेश केवल अमेरिका ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए था कि भारत अब आत्मविश्वास के साथ अपनी आर्थिक और राजनीतिक स्वतंत्रता का प्रयोग कर रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी का यह भाषण सिर्फ घोषणाओं का पुलिंदा नहीं था, बल्कि एक दृष्टि-पत्र (विजन डाकूतेंट्स) था। इसमें भारत की सुरक्षा, तकनीक, रोजगार, किसानों और ऊर्जा जैसे हर क्षेत्र के लिए दिशा तय की गई। भाषण की खास बात यह रही कि इसमें भारत के अतीत की सांस्कृतिक धरोहर (सुदर्शन चक्र), वर्तमान की चुनौतियां (घुसपैठ, बेरोजगारी, वैश्विक दबाव) और भविष्य की आकांक्षाएं (आत्मनिर्भर तकनीक, ऊर्जा स्वतंत्रता, सुरक्षा कवच) तीनों को जोड़ने का प्रयास किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत में ही स्पष्ट कर दिया कि आने वाले वर्षों में भारत की आर्थिक और औद्योगिक दिशा ‘स्वदेशी’ पर केंद्रित होगी। उन्होंने ‘वोकल फॉर लोकल’ को केवल नारा नहीं, बल्कि ‘21वीं सदी के भारत की अनिवार्यता’ बताया। उन्होंने ऐलान किया कि वर्ष 2025 के अंत तक भारत में निर्मित सेमीकंडक्टर चिप्स बाजार में उपलब्ध होंगी। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब वैश्विक चिप सप्लाई चेन में भारत की हिस्सेदारी अभी सीमित है, लेकिन संभावनाएं असीमित। इसके साथ ही उन्होंने रक्षा उपकरण, स्वदेशी जेट इंजन, नौसेना के अत्याधुनिक जहाजों और मिसाइल प्रणालियों में पूर्ण आत्मनिर्भरता का रोडमैप प्रस्तुत किया। प्रधानमंत्री का जोर इस बात पर था कि भारत अब केवल उपभोक्ता राष्ट्र नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन में नेतृत्वकारी भूमिका निभाएगा। उन्होंने उद्योग जगत के लिए “दाम कम, दम ज्यादा“ का मंत्र देते हुए लागत कम करने और क्षमता बढ़ाने की दिशा में नवाचार और अनुसंधान पर निवेश बढ़ाने का आह्वान किया।
किसानों और मध्यम वर्ग के लिए सुरक्षा कवच
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्त्र और कृषि उत्पादों पर 50 फीसदी तक टैरिफ लगाए जाने की पृष्ठभूमि में मोदी ने किसानों को आश्वस्त किया कि उनका हित हर परिस्थिति में सुरक्षित रहेगा। उन्होंने कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने और नए बाजार तलाशने के लिए विशेष योजनाओं की घोषणा की। साथ ही, अक्टूबर 2025 से जीएसटी दरों में कटौती का ऐलान किया, जिसे उन्होंने दिवाली का ‘डबल तोहफा’ बताया। यह निर्णय न केवल मध्यम वर्ग को राहत देगा, बल्कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एकएसएमई) क्षेत्र के लिए भी प्रोत्साहन का कार्य करेगा। मोदी ने कृषि क्षेत्र में तकनीकी हस्तक्षेप, सिंचाई के विस्तार और जैविक खेती को बढ़ावा देने की योजनाओं पर भी संकेत दिया। उनका कहना था कि किसान केवल अन्नदाता नहीं, बल्कि भारत के विकास के आधारस्तंभ हैं।
युवाओं के लिए रोजगार और अवसर
भाषण का एक बड़ा हिस्सा युवाओं को समर्पित रहा। प्रधानमंत्री ने ‘प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना’ की घोषणा करते हुए ₹1 लाख करोड़ का विशेष पैकेज पेश किया। इसके तहत निजी क्षेत्र में पहली नौकरी पाने वाले युवाओं को ₹15,000 प्रतिमाह वित्तीय सहायता दी जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत के 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य में युवाओं की भूमिका निर्णायक है। मोदी ने स्टार्टअप्स, इनोवेशन और डिजिटल स्किल्स को बढ़ावा देने के लिए नई नीतियों का संकेत देते हुए कहा कि 21वीं सदी का भारत विचारों, तकनीक और उद्यमिता में दुनिया का नेतृत्व करेगा।
राष्ट्रीय सुरक्षाः 'सुदर्शन चक्र मिशन'
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर कड़ा संदेश दिया। उन्होंने हाल ही में संपन्न 'ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अब 'नई सामान्य स्थिति' (न्यू नारमल) में है, जहां जवाब तत्काल और निर्णायक होगा। उन्होंने 'सुदर्शन चक्र मिशन' की घोषणा की, जिसके तहत एक उन्नत रक्षा कवच प्रणाली विकसित की जाएगी। यह प्रणाली आने वाले दशकों में देश की सीमाओं को अभेद्य बनाने और अंतरिक्ष से लेकर समुद्र तक हर मोर्चे पर सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक होगी।
जनसांख्यिकी पर गहरी नजर
मोदी ने देश की बदलती जनसांख्यिकीय स्थिति को लेकर सतर्कता बरतने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने 'हाई-पावर डेमोग्राफिक कमेटी' गठित करने की घोषणा की, जो आबादी संतुलन, सामाजिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े पहलुओं का अध्ययन करेगी। यह पहली बार है जब स्वतंत्रता दिवस भाषण में जनसांख्यिकीय मुद्दों को इस तरह केंद्र में रखा गया। इससे स्पष्ट है कि सरकार इसे केवल सामाजिक नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानती है।
डिजिटल भारत और नवाचार की उपलब्धियां
प्रधानमंत्री ने भारत के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर गर्व व्यक्त करते हुए यूपीआई (यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) को 'दुनिया के लिए अजूबा' बताया। उन्होंने कहा कि अब यह प्रणाली 7 देशों में सक्रिय है और भारत के डिजिटल मॉडल को वैश्विक स्तर पर अपनाया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने मुद्रा योजना के माध्यम से स्वरोजगार और छोटे व्यवसायों को दिए जा रहे सहयोग का उल्लेख किया जिसे उन्होंने 'आर्थिक स्वतंत्रता की नींव' बताया।
ताकत और चुनौतियां
भाषण में वर्तमान चुनौतियों और भविष्य की रणनीति का स्पष्ट खाका। स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत पर केंद्रित दृष्टि, जो वैश्विक परिस्थितियों में आवश्यक है। युवाओं और किसानों के लिए ठोस घोषणाएं, जो बड़े वोट बैंक और आर्थिक आधार को संबोधित करती हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा पर स्पष्ट और कड़ा संदेश। हालांकि घोषणाओं का प्रभाव तभी होगा जब इनका समयबद्ध और पारदर्शी क्रियान्वयन हो। जनसांख्यिकी पर नीतियां संवेदनशील हैं, इसलिए इन्हें लागू करने में व्यापक सामाजिक संवाद आवश्यक होगा। मतलब साफ है प्रधानमंत्री मोदी का 15 अगस्त का संबोधन केवल एक वार्षिक परंपरा नहीं, बल्कि एक नीति घोषणापत्र जैसा प्रतीत हुआ। इसमें स्वदेशी को आत्मा, युवाओं को शक्ति, किसानों को आधार, और सुरक्षा को कवच मानकर ‘विकसित भारत 2047’ का रोडमैप पेश किया गया। यह भाषण राष्ट्रीय गौरव और भविष्य की आकांक्षाओं का सम्मिलन है, लेकिन इसका वास्तविक प्रभाव आने वाले वर्षों में इन घोषणाओं के धरातल पर उतरने से तय होगा।
स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भर भारत
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत में ही स्पष्ट कर दिया कि आने वाले वर्षों में भारत की आर्थिक और औद्योगिक दिशा ‘स्वदेशी’ पर केंद्रित होगी। उन्होंने ‘वोकल फॉर लोकल’ को केवल नारा नहीं, बल्कि ‘21वीं सदी के भारत की अनिवार्यता’ बताया। उन्होंने ऐलान किया कि वर्ष 2025 के अंत तक भारत में निर्मित सेमीकंडक्टर चिप्स बाजार में उपलब्ध होंगी। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब वैश्विक चिप सप्लाई चेन में भारत की हिस्सेदारी अभी सीमित है, लेकिन संभावनाएं असीमित। इसके साथ ही उन्होंने रक्षा उपकरण, स्वदेशी जेट इंजन, नौसेना के अत्याधुनिक जहाजों और मिसाइल प्रणालियों में पूर्ण आत्मनिर्भरता का रोडमैप प्रस्तुत किया। प्रधानमंत्री का जोर इस बात पर था कि भारत अब केवल उपभोक्ता राष्ट्र नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन में नेतृत्वकारी भूमिका निभाएगा। उन्होंने उद्योग जगत के लिए “दाम कम, दम ज्यादा“ का मंत्र देते हुए लागत कम करने और क्षमता बढ़ाने की दिशा में नवाचार और अनुसंधान पर निवेश बढ़ाने का आह्वान किया।