विजयादशमी पर महिला सुरक्षा एवं सम्मान का संकल्प लें युवा पीढ़ी

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विजयादशमी, जिसे दशहरा भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति के प्रमुख और प्रेरणादायी पर्वों में से एक है। यह पर्व हर वर्ष आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इसका धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व इतना गहरा है कि इसे केवल एक उत्सव न मानकर जीवन दर्शन का संदेश समझा जाता है।

रामायण के अनुसार इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर माता सीता को बंधन से मुक्त कराया था। यह घटना धर्म और मर्यादा की विजय का प्रतीक है। दुर्गा पूजा परंपरा एवं शास्त्रों के अनुसार इसी दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर का वध किया था, इसीलिए इसे शक्ति की विजय का पर्व भी कहा जाता है। इस दिन शस्त्र पूजन करने की परंपरा भी है। इसे नया कार्य आरंभ करने और विजय प्राप्ति के लिए शुभ दिन माना जाता है। भारत में दशहरा केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि सत्य की असत्य पर विजय और न्याय की अन्याय पर जीत का प्रतीक है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि जब-जब समाज में अत्याचार, अन्याय और भय का वातावरण फैलता है, तब उसका अंत करना आवश्यक हो जाता है, हम रावण के पुतले का दहन करते हैं जो बुराई और अहंकार का प्रतीक है।

विजयादशमी का पर्व केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक ही नहीं है, बल्कि यह समाज को आत्ममंथन करने का अवसर भी देता है। रावण के पुतले को जलाने से पहले हमें यह सोचना होगा कि आखिर मां दुर्गा को महिषासुर जो एक असुर (दानव) था जिसे उसके कठोर तप से भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त हुआ था कि “कोई भी देवता, दानव या असुर उसे पराजित नहीं कर सकेगा तो फिर उसका वध करने की जरूरत क्यों पड़ी।

विजयादशमी पर महिला सुरक्षा एवं सम्मान का संकल्प लें युवा पीढ़ी

आज के समय में महिलाओं की सुरक्षा भी ठीक उसी प्रकार का विषय है, जिसे लेकर समाज को जागरूक और मजबूत बनने की अति आवश्यकता है। असल सवाल यह है कि क्या महिलाओं की असुरक्षा और उनके सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली सोच का अंत हम कर पा रहे हैं? जबाव निकलेगा नहीं, क्योंकि इस विषय पर बात करना कोई चाहता ही नहीं है, अधिकांश युवा वर्ग दशहरा पर पर्व को केवल अवकाश का एक अवसर मानता है लेकिन इस दशहरे पर युवाओं को संकल्प लेना होगा कि वे महिला सुरक्षा और सम्मान की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभायेंगे।

देश भर में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की कुछ घटनाएँ बताती हैं कि असली "रावण" अब भी हमारे समाज में मौजूद है, वह है भ्रष्ट सोच, असुरक्षित माहौल और उदासीनता की प्रवृत्ति वाली मांनसिकता इसलिए युवाओं को चाहिए कि वे इस पर्व पर केवल प्रतीकात्मक विजय का उत्सव न मनाएँ, बल्कि महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देंने का संकल्प भी लें।

उत्तर प्रदेश सरकार का "मिशन शक्ति" अभियान महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन के लिए एक महत्वाकांक्षी पहल है, इसमें महिला हेल्पलाइन (1090, 181, 112, 1076) जैसी सेवाएँ, पुलिस बीट प्रणाली में महिला सुरक्षा डेस्क, स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम तथा महिला स्वयं सहायता समूहों का सशक्तिकरण जैसे प्रयास शामिल हैं, लेकिन किसी भी योजना या मिशन की असली सफलता तभी होती है जब युवा वर्ग उसमें सक्रिय भागीदारी निभाता है।

मिशन शक्ति अभियान का फेज पाँच चल रहा है जिसमें उत्तर प्रदेश शासन और उत्तर प्रदेश पुलिस पूर्ण निष्ठा से इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन कर रहे हैं, प्रदेश के प्रत्येक गाँव, घर, गली, मोहल्ले तक जाकर महिलाओं को इसकी जानकारी देकर जागरुक कर रहे हैं और किसी भी तरह के भय, अपराध होने पर पुलिस की मदद लेने का अनुरोध भी कर रहे हैं, इससे महिलाओं में काफी जागरुकता देखने को मिल रही है, युवाओं को इसमें अपनी जिम्मेदारी सुनिश्चित करने का एक अवसर है, वह इसलिए कि भारत में युवा सोशल मिडिया का सबसे ज्यादा उपयोग करता है, इसलिए सोशल मीडिया और व्यक्तिगत जीवन में महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर खुलकर चर्चा करने और संवेदनशील होकर रहने की आवश्यकता है।

युवाओं की जिम्मेदारी है कि महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़, उत्पीड़न या भेदभाव को नज़रअंदाज़ न करें, बल्कि तुरंत रोकने और रिपोर्ट करने की पहल करें एवं अपने व्यवहार और विचारों में स्त्री-पुरुष समानता को स्थान दें, युवाओं को चाहिए कि वे महिला सुरक्षा से जुड़ी हेल्पलाइन और मोबाइल एप्स का प्रचार करें, ताकि ज़रूरतमंद को तुरंत मदद मिल सके, घर, मोहल्लों, कॉलेजों और कार्यस्थलों पर "महिला सुरक्षा मित्र" की तरह खड़े हों जिससे महिलाओं को यह भरोसा हो कि समाज उनके साथ है।

महिला सुरक्षा केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज का दायित्व है। अगर हर युवा यह ठान ले कि वह अपने आसपास किसी भी महिला के साथ होने वाले अनुचित व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेगा तो समाज की तस्वीर बदल सकती है और दशहरा पर्व भी हमें यही सिखाता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः उसका पराभव निश्चित है। अतः इस बार का दशहरा युवाओं के लिए अवसर है कि वे महिला सुरक्षा का संकल्प लें और नारी शक्ति को मजबूती प्रदान करें। यही सच्चे अर्थों में दुर्गा पूजा, रावण दहन और विजयादशमी का वास्तविक संदेश होगा।

आकाश कुमार

जनपद मेरठ


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