Jaunpur News: भावनात्मक सहयोग से रोकी जा सकती है आत्महत्या: डा. ईशदत्त

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Jaunpur News: भावनात्मक सहयोग से रोकी जा सकती है आत्महत्या: डा. ईशदत्त
  • विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह पर पूविवि में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

सरायख्वाजा, जौनपुर। पूर्वांचल विश्वविद्यालय में व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग एवं वेलनेस सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में संकाय भवन के कांफ्रेंस हाल में  विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया गया। विश्वविद्यालय द्वारा विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह का आयोजन 10 से 16 सितम्बर तक किया जा रहा है। इस वर्ष का थीम "आत्महत्या के विषय पर दृष्टिकोण और संवाद को बदलना" है।

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. ईशदत्त पांडेय  वरिष्ठ रेजिडेंट मनोचिकित्सा विभाग उमानाथ स्वायत्त शासी राजकीय मेडिकल कॉलेज ने कहा कि आत्महत्या केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी एक गंभीर चुनौती है। आत्महत्या करने वाले व्यक्ति को 100 प्रतिशत इस कदम से रोका जा सकता है, यदि समय रहते उसका भावनात्मक सहयोग किया जाए। इसके लिए समाज को संवेदनशील बनना होगा।

डॉ. पांडेय ने जोर दिया कि सकारात्मक सामाजिक तंत्र अत्यंत आवश्यक है। जब कोई व्यक्ति मानसिक परेशानी में होता है तो वह अपने करीबियों से संवाद करता है। इसलिए पारिवारिक सदस्यों को अपने बच्चों की मनोदशा की नियमित निगरानी करनी चाहिए। विभागाध्यक्ष एवं नोडल अधिकारी प्रो. अजय प्रताप सिंह ने कहा कि जीवन जीने के लिए उम्मीद का होना बेहद आवश्यक है। जब व्यक्ति के भीतर आशा होती है तो वह किसी भी मुश्किल का सामना करने में सक्षम होता है। हमारे अंदर जितनी सकारात्मकता होगी, हम उतने ही मजबूत बनेंगे।

जनसंचार विभाग के शिक्षक डा. सुनील कुमार ने कहा कि असफलताओं से निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि अपनी अपेक्षाओं को नियंत्रित रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए। व्यवहारिक मनोविज्ञान विभाग की शिक्षिका एवं परामर्श केंद्र की प्रभारी डॉ. जान्हवी श्रीवास्तव ने युवाओं में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति को चिंताजनक बताया। साथ ही कहा कि इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए घर, समाज और संस्थानों को मिलकर कार्य करना होगा और युवाओं की मनोदशा को समय रहते समझना होगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर ने किया। इस अवसर पर विभिन्न विभागों के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।


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