- तीन माह से जलजमाव में जूझ रहे धौरईलवासी, प्रशासन मौन
- आधा दर्जन से अधिक महिलाएं-बच्चे संक्रामक बीमारियों से ग्रसित
विरेन्द्र यादव
सरायख्वाजा, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के धौरईल गांव पूरा इन दिनों जलजमाव की भीषण समस्या से जूझ रहा है। करीब तीन माह से लगातार पानी जमा है लेकिन शासन-प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। गांव के मुख्य मार्ग पर भरे पानी के कारण लगभग एक हजार की आबादी को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
विकास खंण्ड शाहगंज सोंधी के धौरईल (उत्तरपुरा) पर 200 घरों वाले इस बस्ती में ब्राम्हण, यादव, ठाकुर, शर्मा, जायसवाल बिरादरी के लोग रहते हैं। रोजमर्रा की जरूरतों के लिए इसी रास्ते से गुजरते हैं, मगर जलजमाव ने उनकी जिंदगी नरक कर दी है। गांव के करीब 400 बच्चों को रोज इसी गंदे पानी से होकर विद्यालय जाना पड़ता है। आये दिन बच्चे पानी में फिसलकर गिर जाते हैं। उनके कपड़े और किताबें भीग जाती हैं। कई बार उन्हें वापस घर लौटना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
ग्रामवासियों का कहना है कि जलजमाव से मच्छर और गंदगी बढ़ गई है जिससे संक्रमण फैलने का खतरा मंडरा रहा है। लोग बुखार और त्वचा संबंधी बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। महिलाएं और छोटे बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। ग्रामीण ब्लॉक से लेकर तहसील और जिला प्रशासन तक गुहार लगाई लेकिन अब तक समस्या जस की तस बनी हुई है।
धौरईल गांव का यह उत्तर का पूरा आज भी विकास और बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। स्वच्छ भारत मिशन और विकास के दावों की असलियत यहां आकर उजागर हो जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही जल निकासी की व्यवस्था नहीं कराई गई तो वे जिला मुख्यालय तक आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
गांव के बुजुर्गों के अनुसार यहां कोई नाला या जल निकासी की पाइपलाइन तक नहीं बनी है। बरसात का पानी और घरों का गंदा पानी एक ही जगह इकट्ठा हो जाता है। इस बार 3 माह बीत जाने के बाद भी पानी सूखा नहीं है। लोग कहते हैं कि प्रशासन की घोर लापरवाही और उदासीनता के कारण वे बदहाली में जीने को विवश हैं।
"तीन माह से लगातार पानी जमा है। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। रोज बीमारी का खतरा बढ़ रहा है लेकिन अधिकारी लोग ध्यान नहीं दे रहे। -पवन मिश्रा।
"पानी से होकर गुजरना पड़ता है। कई बार हम लोग फिसलकर गिर जाते हैं। बच्चे भी बीमार पड़ रहे हैं। अब जीना मुश्किल हो गया है।" -यादवेन्द्र मिश्रा एडवोकेट
"गांव में विकास के नाम पर सिर्फ कागजों पर काम हुआ है। जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं, प्रशासन आंख बंद किए बैठा है।" -दीपक यादव
घर के सामने पूरा बारिश भर पानी व कीचड़ जमा रहता है। कई बार जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया गया लेकिन केवल आश्वासन मिलता रहता है। -अजय सिंह पूर्व अध्यापक
कार्य योजना में प्रस्ताव दिया गया है। शासन से पैसा आने पर जल निकासी का कार्य कराया जायेगा। -संजय कुमार ग्राम प्रधान
जल निकासी की समस्या को ब्लॉक, जिला मुख्यालय और मुख्यमंत्री के हेल्पलाइन नंबर पर भी दे चुका हूं लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब जिला मुख्यालय पर पहुंचकर प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। -विनोद यादव पूर्व प्रधान
बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चों को अत्यधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यहां पर राजनीति का शिकार जनता हुई है। -पंकज मिश्रा
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