- हंगामे के बाद पहुंची पुलिस, पीएचसी करंजाकला का मामला
- रात भर रखने के बाद सुबह जिला अस्पताल किया रेफर, परिजनों से हुई नोक झोंक
विरेन्द्र यादव
सरायख्वाजा, जौनपुर। शासन-प्रशासन के कड़े निर्देशों के बावजूद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र करंजाकला पर लापरवाही और भ्रष्टाचार का गजब खेल चल रहा है। मरीजों को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं देने के नाम पर तैनात स्टाफ खुलेआम पैसा वसूली में जुटे हैं। सोमवार की रात करंजाकला ब्लॉक के सुल्तानपुर गौर गांव की रहने वाली सरोज बनवासी इस लापरवाही का शिकार बनीं।
जानकारी के मुताबिक प्रसव पीड़ा बढ़ने पर परिजनों ने गांव की आशा कार्यकर्ता सुमन पांण्डे को फोन किया और रात में एंबुलेंस से सरोज को पीएचसी करंजाकला लाया गया। आरोप है कि वहां मौजूद स्टाफ नर्स महिला को पूरी रात बिना इलाज के लेबर रूम में रख दिया। सुबह जब ड्यूटी पर स्टाफ नर्स स्वर्णिमा सिंह पहुंचीं तो उन्होंने भी पीड़िता को सुबह 10 बजे तक बिना किसी जानकारी के ऐसे ही रखा। इसके बाद आशा कार्यकर्ता से खून की जांच कराने को कहा गया और सैंपल बाहर भेज दिया गया।
परिजनों का आरोप है कि प्रसव कराने के नाम पर स्टाफ नर्स ने दो हजार रुपये की मांग की। गरीब परिवार द्वारा असमर्थता जताने पर आशा कार्यकर्ता ने भी बिना पैसे के प्रसव न कराने का दबाव बनाया। पैसे न मिलने पर नर्स ने खून की कमी का हवाला देते हुए महिला को जिला अस्पताल रेफर करने की बात कही। इसी बीच परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया तो मामला बिगड़ गया।
हंगामे के दौरान पुरुष स्टाफ नर्स अमित राय और आशा कार्यकर्ता के बेटे के बीच हाथापाई की नौबत आ गई। सूचना मिलते ही 112 पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों को समझाकर मामला शांत कराया। वहीं, इसी दौरान भकुरा गांव की राधा प्रजापति ने भी आरोप लगाया कि प्रसव के नाम पर उससे एक हजार रुपये वसूले गए थे। आशा कार्यकर्ता सुमन पांडे ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि करंजाकला पीएचसी में बिना रुपये लिए कोई भी डिलीवरी नहीं कराई जाती। हर प्रसव के लिए 1500 से 2000 रुपये अनिवार्य रूप से मांगे जाते हैं।
वहीं स्टाफ नर्स स्वर्णिमा सिंह ने पैसे लेने से साफ इनकार करते हुए कहा कि सरोज बनवासी को खून की कमी और वजन कम होने की वजह से जिला अस्पताल रेफर किया गया था। चिकित्सा प्रभारी डॉ. संतोष कहा कि जांच कराई जाएगी। दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं थाना प्रभारी जयप्रकाश यादव ने बताया कि 112 पर सूचना जरूर मिली थी, लेकिन थाने पर अभी तक कोई लिखित तहरीर नहीं आई है।
प्रसव के लिए जरूरी सामान नदारद, बाहर से मंगवाए गए ग्लब्स-ब्लेड
शासन की तमाम सख्त हिदायतों और मातृ-शिशु स्वास्थ्य योजनाओं के बावजूद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र करंजाकला की हकीकत चौंकाने वाली है। यहां प्रसव कराने के लिए जरूरी सामान तक उपलब्ध नहीं है। मंगलवार को सुल्तानपुर गौर गांव की रहने वाली सरोज बनवासी को प्रसव पीड़ा हुई तो परिजन उन्हें लेकर पीएचसी पहुंचे, लेकिन वहां की स्थिति देखकर उनका भरोसा टूट गया। अस्पताल में न तो ग्लब्स मिले, न ही ब्लेड और न ही खून की जांच की सुविधा मौजूद थी। स्टाफ ने साफ कह दिया कि ये सभी सामान बाहर से खरीदकर लाना पड़ेगा। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल स्टाफ ने उन्हें मजबूर किया कि प्रसव कराने के लिए जरूरी सामान बाहर से लाना पड़ेगा।