- सनातन संस्कृति के दो तीर्थस्थलों के बीच भक्ति का अद्भुत संगम
- वर्ष 2024 से शुरू हुई परम्परा इस बार भी रही जीवन्त
- श्रीकृष्ण और भगवान शंकर के बीच आध्यात्मिक संवाद का प्रतीक
सुरेश गांधी
वाराणसी। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर काशी और मथुरा के बीच भक्ति एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान की अद्भुत परंपरा इस वर्ष भी साकार हुई। श्री काशी विश्वनाथ धाम से भगवान विश्वेश्वर महादेव की ओर से श्रीकृष्ण जन्मभूमि, मथुरा में भगवान लड्डू गोपाल को विशेष भेंट प्रेषित की गई।
काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्रा ने बताया कि 15 अगस्त को जन्माष्टमी के पूर्व दिवस पर लड्डू गोपाल हेतु उपहार सामग्री को विधिपूर्वक पूजित कर श्री विश्वेश्वर महादेव से अवलोकित कराया गया। इसके उपरांत 16 अगस्त को यह पावन भेंट श्रद्धापूर्वक मथुरा भेजी गई। बता दें, वर्ष 2024 में जन्माष्टमी पर इस परंपरा की शुरुआत हुई थी। तब काशी विश्वनाथ धाम से भगवान लड्डू गोपाल को भेंट भेजी गई थी, जबकि रंगभरी एकादशी पर मथुरा से भगवान लड्डू गोपाल की ओर से श्री विश्वेश्वर महादेव को उपहार अर्पित किया गया था।
श्रद्धालुओं में हर्ष
इस आयोजन को लेकर काशी और मथुरा दोनों ही स्थानों पर श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह देखा गया। वाराणसी के पंडित नीलकंठ तिवारी ने कहा कि यह परंपरा भगवान शंकर और श्रीकृष्ण के मध्य अनन्य भक्ति संबंध का प्रतीक है। इससे पूरे सनातन समाज को एकता का संदेश मिलता है।” वहीं मथुरा के आचार्य चंद्रभान शास्त्री ने बताया कि “लड्डू गोपाल को काशी से आने वाली यह भेंट उनकी जन्मभूमि की गरिमा को और बढ़ाती है। यह परंपरा सनातन संस्कृति की अखंडता का प्रमाण है।
मोक्षदायिनी नगरियों का संगम
काशी और मथुरा दोनों ही मोक्ष प्रदान करने वाली नगरियाँ हैं। इन दोनों तीर्थों का यह सांस्कृतिक-आध्यात्मिक संगम सनातन समाज में संवाद, सहभक्ति और समन्वय की नई मिसाल प्रस्तुत कर रहा है।