प्राचीन शिव मन्दिर में पार्थिव शिवलिंग महाभिषेक शुरू

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प्राचीन शिव मन्दिर में पार्थिव शिवलिंग महाभिषेक शुरू
  • साधु, संत, महात्मा व स्थानीय गणमान्य आयोजन में हुए शामिल
  • पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे भी पहुंचे

उल्हासनगर। श्रावण मास में पार्थिव लिंग बनाकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। धर्म शास्त्रों के अनुसार कलयुग में कुष्मांड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव शिवलिंगों की पूजा प्रारंभ की थी। इसी विशेष माहात्म्य को ध्यान रखते हुए अंबरनाथ के प्राचीन शिवमंदिर परिसर में सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंगों के अभिषेक का विराट आयोजित किया गया है। सोमवार की सुबह आकर्षक कलश यात्रा से ग्यारह दिवसीय धार्मिक आयोजन की शुरुआत हुई। सोमवार को पहले दिन पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे भी कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे तथा विधिवत पूजा की।

बता दें कि सोमवार से शुरू यह आयोजन 21 अगस्त तक चलेगा। यह संपूर्ण प्रक्रिया प्रयागराज से पधारे महायज्ञ के अधिष्ठाता पूज्य बृजेशानंद महाराज के हाथों हो रहा है। महायज्ञ कार्यक्रम के संरक्षक धनंजय बोड़ारे और कार्यक्रम के आयोजक उद्योगपति संजय गुप्ता हैं। पार्थिव शिवलिंगों की पूजा से मानसिक और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। घर परिवार में धनधान्य और सुख समृद्धि का वास होता है। अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। हिंदू धर्म के प्राचीन देवताओं अर्थात त्रिदेव में महेश के रूप में शिवजी को सृष्टि का संहारक देवता के रूप में विशेष महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि सृष्टि का लय और प्रलय दोनों शिवजी के ही हाथों में हैं।

प्राचीन शिव मन्दिर में पार्थिव शिवलिंग महाभिषेक शुरू

भगवान शिव की पूजा मूर्ति और शिवलिंग दोनों ही रूपों में होती है। भगवान शिव तथा शिवलिंग के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने के लिए स्थानीय पुरातन कालीन शिव मंदिर परिसर में बृजेशानंद महाराज के मार्गदर्शन में यह धार्मिक महोत्सव विशाल स्वरूप से शुरू हुआ, पहले दिन सैकड़ों महिलाओं ने पारंपरिक तौर पर कलश यात्रा में हिस्सा लिया तथा सैकड़ों मान्यवरों की विशेष उपस्थिति में सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंगों के निर्माण का पर्व शुरू हुआ। इसके गवाह हजारों लोग हुए। अंबरनाथ तथा उल्हासनगर परिसर में इस तरह का यह पहला अवसर बताया जा रहा है।

इस तरह के भव्य धार्मिक आयोजनों से समृद्धि, वैभव प्राप्त होता है। इस प्रकार के 49 धार्मिक आयोजन देश के विभिन्न राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा में सफलता पूर्वक हो चुके हैं। महाराष्ट्र के अंबरनाथ में होने जा रहा यह आयोजन 50वां होगा। विश्व कल्याण तथा सनातन धर्म की रक्षा और जनजागृति के लक्ष्य को लेकर यह अनुष्ठान किया जा रहा है। पार्थिव शिवलिंग महाभिषेक कार्यक्रम में शामिल होकर जो भी अपनों हाथों से पार्थिव शिवलिंग बनाता है, धार्मिक मान्यता है कि उसको बनाने वाले लोगों के जीवन में सुख शांति, आती है, सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है तथा आर्थिक संपन्नता भी उनके घर आंगन में आती है। उक्त जानकारी बृजेशानंद महाराज प्रयागराज उत्तर प्रदेश ने दी।


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