एसएन तिवारी/अजय पाण्डेय
प्रयागराज। श्री कृष्ण ने वैशेषित दर्शन में कहा कि जहां श्रीमद्भागवत होता है, वहां सिद्ध धाम का अभ्युदय होता है, क्योंकि शरीर और शरीर से गर्भावस्था फिर किशोरा अवस्था प्रौढ़ावस्था और अंत में वृद्धावस्था तक शरीर पुनः वह मेरे में ही निहित हो जाता है।
उक्त बातें भागवत कथा बाघंबरी गद्दी अल्लापुर में मुख्य यजमान दयाशंकर तिवारी द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में प्रशांत मिश्र महराज ने कही। साथ ही आगे कहा कि जहां सिद्ध धाम होता तो उनका शारीरिक उन्नति, भौतिक उन्नति, वैचारिक उन्नति, नैतिक उन्नत, राजनीतिक उन्नति, धार्मिक उन्नत, आर्थिक उन्नति और फिर अंत में अध्यापन उन्नति के द्वारा भगवत प्राप्ति होती है। सर्वश्रेष्ठ उन्नति का अर्थ एक सीमांकन सीमा के पार होता है और शरीर को अपनी परमात्मा तक पहुंचने वाला होता है। वहीं आध्यात्मिक मार्ग भगवान धर्म और द्वारिका पुरी में बड़े आनंद से बिराजमान है।
उन्होंने कहा कि जिसके दरवाजे के मुख से श्रीहरि का नाम निकलता रहता है, वह सबसे बड़ा धार्मिक सुख होता है। भक्त कहे धनवान सुखी, धनवान कहे सुख राजा को भारी, राजा कहे महाराज सुखी, महाराज कहे सुख इंद्र को भारी, इंद्र कहें चतुरानन सुखी और चतुरानन कहे सुख विष्णु को भारी, विचार करें दुखी सब है बस भगत को हरि के संपर्क या अधीन होते ही सभी का दुख भाग जाते हैं। शरीर के संसाधनों संस्कृति जो संसार को भली भांति चला रहे हैं। जो शरीर की अवस्था है, वह चाहे गर्भावस्था से बाल्यावस्था किशोरावस्था के प्रवाह को पार करते हुए वृद्धावस्था तक जाता है।
अंत में श्रीहरि में उसकी आत्मा निहित हो जाती है वह और उसकी आत्मा धन्य हो जाती है। कार्यक्रम आयोजक जय प्रकाश तिवारी, दिवाकर तिवारी अधिवक्ता उच्च न्यायालय सुधाकर जी, प्रभाकर जी, उत्कर्ष तिवारी, अरुण तिवारी आदि रहे। उक्त अवसर पर संजय जायसवाल अध्यक्ष नगर पंचायत मछलीशहर, कम्पोटर तिवारी प्रदेश अध्यक्ष पारसनाथ महादेव ट्रस्ट, तरुन शुक्ल प्रांतीय महामंत्री अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद काशी प्रान्त, अजय पाण्डेय जिलाध्यक्ष अहिप जौनपुर सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।
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