अजय पाण्डेय
जौनपुर। क्या भ्रष्टाचार की लानत से देश के लोगों को कभी मुक्ति मिल सकती है या इसे केवल कागज पर ही भ्रष्टाचार मुक्त दिखा कर सरकारें अपनी पीठ थपथपाती रहेगी। इन शब्दों के साथ मिशन रिमूव करप्शन के संचालक एवं हिंदुस्तान मानवाधिकार के राष्ट्रीय महासचिव ने देश के राष्ट्रपति, विदेश मंत्रालय, उत्तर प्रदेश के राजपाल, पुलिस महानिदेशक, सीबीआई लखनऊ और पुलिस अधीक्षक जौनपुर को पत्र लिखकर उन से पासपोर्ट आवेदकों से पासपोर्ट सेवा केंद्रों, पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्रों पर धनउगाही का आरोप लगाया है। साथ ही पुलिस द्वारा वेरिफिकेशन के नाम पर धनउगाही की शिकायत की है।
शीर्ष अधिकारियों को भेजे गये पत्र में बताया कि दो करीब दो दशक पूर्व इसी बात की शिकायत उन्होंने देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे कलाम जी से की थी जिसकी हुई तो 6 पुलिस और कई एलआईयू अधिकारियों को दोषी पाया गया था।
असमय जब यह समाचार कई प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने प्रकाशित किया तो लोगों को विश्वास हो चला था कि उन्हें पासपोर्ट के लिए अब इस जिल्लत और भ्रष्टाचार से निजात मिल जाएगी, मगर ऐसे नहीं हुआ। पासपोर्ट आवेदकों को किसी अपराधी की तरह थानों के दहशत भरे माहौल में वेरिफिकेशन के नाम पर मुंह मांगी रकम देने को बाध्य किया जाता है जबकि रिनिवल आवेदकों के लिए पुलिस वेरिफिकेशन भी अनिवार्य नहीं है।
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