बिपिन सैनी
चौकियां धाम, जौनपुर। मां शीतला चौकियां धाम में करवाचौथ के पावन पर्व पर सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला व्रत रखा है। इस व्रत में महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक बिना अन्न-जल ग्रहण किए उपवास करती हैं। व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले सरगी का सेवन करके की जाती है। दिनभर महिलाएं निर्जला व्रत का पालन करती हैं और शाम को चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत खोलती हैं।
इसी क्रम में सुहागिन व्रती महिलाओं ने भगवान गणेश, भगवान शिव, माता पार्वती को स्थापित कर करवा चौथ की कथा सामूहिक रूप से सुनी। रात में चंद्रोदय होने पर महिलाएं छलनी से चंद्रमा के दर्शन करने के पश्चात अपने पति का चेहरा देख चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति के हाथों जल पीकर व्रत का पारण किया।
करवाचौथ का यह व्रत पति की लंबी आयु और दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। यह प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक माना जाता है, जिसे महिलाएं पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ निभाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती को अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त है। इसलिए महिलाएं भी अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह व्रत रखती हैं।
चंद्रमा को देखकर व्रत खोलने के पीछे मुख्य कारण यह है कि चंद्रमा को पुरुष रूपी ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि उनकी पूजा और उपासना से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। चंद्रमा के पास रूप, शीतलता, प्रेम, प्रसिद्धि और लंबी आयु का वरदान है इसलिए महिलाएं भगवान गणेश, भगवान शिव, माता पार्वती के साथ चंद्रमा की पूजा कर अपने पति के लिए दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं।
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