- भगवान राम की बाल लीला ने बांधा समां, श्रद्धालु हुये भाव-विभोर
सौरभ सिंह
सिकरारा, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के खानापट्टी गांव के रामलीला मैदान में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के चौथे दिन शनिवार को भगवान श्रीराम की बाल लीला की मनोहारी झांकी ने श्रद्धालुओं के हृदय को भक्ति के रंग में सराबोर कर दिया। अयोध्या धाम से पधारे प्रख्यात कथा वाचक संतोष शरण महाराज ने अपनी मधुर वाणी और गहन भक्ति-भाव से राम की बाल लीला के प्रसंगों को इस तरह जीवंत किया कि श्रोतागण मंत्र—मुग्ध हो उठे। रामलीला मैदान में उमड़ा भक्ति का सैलाब इस बात का साक्षी था कि भगवान राम की कथा आज भी जनमानस को प्रेम, धर्म और मर्यादा का मार्ग दिखाने में सक्षम है।
कथा का शुभारंभ और स्वागत कथा के मुख्य यजमान विजय सिंह और उनकी धर्मपत्नी ने व्यास गद्दी का विधिवत पूजन और आरती कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने कथा वाचक संतोष शरण महाराज और उनकी पूरी टीम को अंगवस्त्रम भेंट कर सम्मानित किया। यह क्षण भक्ति और श्रद्धा से ओत—प्रोत था जिसने कथा के लिए एक पवित्र माहौल का निर्माण किया।
संतोष शरण महाराज ने भगवान राम की बाललीला के प्रसंगों को अपनी ओजस्वी और मधुर वाणी में पिरोकर श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि कैसे अयोध्या के राजा दशरथ और माता कौशल्या के पुत्र के रूप में भगवान राम ने अपने बाल रूप में ही धर्म, प्रेम और मर्यादा का आदर्श स्थापित किया। राम की नटखट बाल लीलाओं, माता कौशल्या के स्नेह, राजा दशरथ की भक्ति और अयोध्या के राजसी वैभव का चित्रण इतना सजीव था कि श्रोता स्वयं को अयोध्या की गलियों में भगवान राम के साथ विचरण करता हुआ महसूस करने लगे।
कथा वाचक ने भगवान राम की बाल्यावस्था की उन घटनाओं का वर्णन किया जिनमें उनकी दिव्यता और मानवीय गुणों का अनुपम संगम दिखाई देता है। जैसे-जैसे कथा आगे बढ़ी, श्रोता भक्ति के सागर में डूबते चले गए। माता कौशल्या के लाड़-प्यार, भगवान राम की नन्हीं शरारतें और उनके भाईयों के साथ खेल-कूद के प्रसंगों ने सभी को भाव-विभोर कर दिया। कथा वाचक ने यह भी बताया कि कैसे भगवान राम ने अपने बाल्यकाल में ही मर्यादा पुरुषोत्तम के गुणों का परिचय देना शुरू कर दिया था, जो विश्व के लिए एक आदर्श बन गया।
संगीतमय प्रस्तुति ने लगाये चार चांद
राम कथा के संरक्षक और समाजसेवी दिनेश सिंह की देख-रेख में आयोजित इस कार्यक्रम में विद्वान उमेश शास्त्री महाराज, आशुतोष महाराज और उनकी संगीतमय वाद्य यंत्रों की टीम ने कथा को और भी रसमय बना दिया। भक्ति भजनों और मधुर संगीत ने श्रोताओं के मन को भगवान राम की लीलाओं के और करीब ला दिया। विशेष रूप से भगवान राम के बाल रूप को समर्पित भजनों ने माहौल को और भी आनंदमय बना दिया।
इन गणमान्य व्यक्तियों की रही उपस्थिति
इस अवसर पर बीडीसी रजनीश सिंह, प्रधान प्रतिनिधि सुशील सिंह, सेवानिवृत्त शिक्षक अवधेश सिंह, वेद प्रकाश सिंह, जितेंद्र सिंह, जय प्रकाश सिंह, ओमनाथ सिंह, अरविंद सिंह नेता, अनिल सिंह, देवदत्त सिंह, विमल सिंह, शुभेंद्रू सिंह सहित तमाम लोग उपस्थित रहे। इनके योगदान ने आयोजन को और भी भव्य और व्यवस्थित बनाया।
.jpg)






