अजय विश्वकर्मा
सिद्दीकपुर, जौनपुर। मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य प्रो० आर०बी० कमल के मार्गदर्शन में विभागाध्यक्ष डा० राजश्री यादव ई०एन०टी विभाग द्वारा मेडिकल कालेज के ई०एन०टी० विभाग में बधिर व्यक्तियों का अंतर्राष्ट्रीय सप्ताह पर जागरूकता कार्यक्रम किया गया। मुख्य अतिथि साइन लैंग्वेज एक्सपर्ट शिवकान्त तिवारी एवं विशिष्ट अतिथि हर्षिता इण्टरनेशनल दिव्यांग स्कूल के प्रबन्धक डॉ प्रमोद सैनी एवं मुरली फाउण्डेशन ट्रस्ट के अध्यक्ष अमित पाण्डेय रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानाचार्य प्रो० आर०बी० कमल के उद्बोधन से हुआ जिन्होंने कहा कि बधिर व्यक्तियों के कल्याण एवं उनके स्वास्थ्य संवर्धन हेतु यह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। समाज के प्रत्येक वर्ग को समान अवसर और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना हमारा कर्तव्य है।
मुख्य अतिथि शिवकान्त तिवारी (साइन लैंग्वेज एक्सपर्ट) ने कहा कि "बधिर व्यक्ति समाज का अभिन्न हिस्सा हैं। हमें उनके साथ संवाद स्थापित करने के लिए साइन लैंग्वेज का ज्ञान और प्रयोग करना चाहिए। यदि प्रत्येक व्यक्ति जीवन में कुछ शब्द भी साइन लैंग्वेज के सीख ले तो बधिर व्यक्तियों के लिए संवाद और अवसर की बाधाएँ स्वतः समाप्त हो सकती है संचार ही आत्मविश्वास की पहली पीढ़ी है।" शिक्षा और स्वास्थ्य सेवओं में सुलभता को बढ़ाना समय की मांग है। विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं स्वास्थ्य संस्थानों में साइन लैंग्वेज इंटरप्रेटर की नियुक्ति से बधिर व्यक्तियों को मुख्यधारा से जोड़ना आसान होगा।
हर्षिता इण्टरनेशनल दिव्यांग स्कूल के प्रबन्धक डॉ प्रमोद सैनी ने कहा कि "दिव्यांग बच्चों और व्यक्तियों को यदि उचित अवसर, शिक्षा और सहयोग मिले तो वे जीवन में किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं रहते। आवश्यकता केवल उन्हें प्रोत्साहन देने और उनके अनुकूल वतावरण बनाने की है। समाज को यह समझना होगा कि दिव्यांग किसी की क्षमता में कमी नहीं बल्कि परिस्थितिजन्य चुनौती है।" "हर्षिता इंटरनेशनल दिव्यांग स्कूल सदैव दिव्यांग बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए समर्पित रहा है। शिक्षा के साथ आत्मनिर्भर, कौशल प्रशिक्षण और नैतिक मूल्यों का विकास ही वास्तविक प्रगति का अधार है।"
मुरली फाउण्डेशन ट्रस्ट के अध्यक्ष अमित पाण्डेय ने बधिर व्यक्तियों के प्रति अपने विचार रखते हुये कहा कि "बधिर व्यक्ति हमारे समाज का अभिन्न हिस्सा हैं। उनके अंदर प्रतिभा, क्षमता और सपने किसी अन्य व्यक्ति से कम नहीं होते। आवश्यकता केवल उन्हें समझने, अवसर देने और उनके प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने की है।"
विभागाध्यक्ष डा० राजश्री यादव ने कहा कि "बधिर व्यक्तियों को समाज में समान अवसर प्रदान करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में उनकी सुलभता सुनिश्चित करना ही उनका सशक्तिकरण है। हमें उनके साथ संवाद करने, उन्हें समझने और उनके कौशल को विकसित करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।"
डा० बृजेश कन्नौजिया सहायक आचार्य ई०एन०टी० विभाग ने गया कि "बधिर व्यक्तियों को सही समय पर निदान और उपचार मिलना अत्यंत आवश्यक है। उनकी सुनने की क्षमता में किसी भी प्रकार की बाधा का समय पर पता लगाने से जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है। परिवार और समाज को इस दिशा में जागरूक रहना चाहिए।" कार्यक्रम का संचालन डा० रिमांशी ने किया।
इस अवसर पर डीन रिसर्च प्रो० रूचिरा सेठी, उप प्रधानाचार्य प्रो० आशीष यादव, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो० ए०ए० जाफरी, प्रो० उमेश सरोज, डा० विनोद कुमार, डा० ले०क०सी०बी०एस० पटेल, डा० अरविन्द पटेल, डा० चन्द्रभान, डा० विनोद वर्मा, डा० जितेन्द्र कुमार, डा० आशुतोष सिंह, डा० अचल सिंह, डा० मुदित चौहान, डा० पीयूष सहित तमाम नर्सिंग अधिकारी, मरीज, तीमारदार उपस्थित रहे।
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