गोरखपुर। अखिल भारतीय कलवार कलाल, कलार जायसवाल महासभा ने जून के अतिंम सप्ताह मे ब्यान जारी किया था कि पहले चरण में शीघ्र ही सत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं क्षेत्रीय दलों के प्रमुखों से महासभा का प्रतिनिधिमंडल शीघ्र मिलेगा। उसी कड़ी में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उनके अधीनस्थ वरिष्ठ पदाधिकारियों को पत्र भेजकर मिलने का समय मांगा गया था किन्तु समय नहीं मिला है। इस सम्बन्ध में जयपुर में आगामी 28 सितम्बर को एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में कुष्ठ वरिष्ठ जन्म भाग ले रहे हैं। दूसरे दिन 29 सितम्बर को पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार मिलने के सम्बन्ध मे निर्णय लिया जायेगा|
इस आशय की जानकारी देते हुये महासभा के राष्ट्रीय महासचिव ध्रुव चन्द्र जायसवाल ने बताया कि महासभा के संरक्षक पूरन चन्द झरीवाल के नेतृत्व में महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव जायसवाल सहित एक प्रतिनिधिमंडल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय महासचिव सहित वरिष्ठ पदाधिकारी से मिला जायेगा। मुलाकात हुई तो राजनैतिक चर्चा होगी एवं सुझाव भी दिये जायेंगे। भाजपा के कई बडे़ नेताओं जैसे नितिन गडकरी से भी मिलने का कार्यक्रम बनाया गया है। क्षेत्रिय दजों के अध्यक्षों में प्रमुख रूप से उपेंद्र कुशवाहा, अनुप्रिया पटेल, राजस्थान के सांसदों, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मिलकर केन्द्र सरकार से मांग किया जायेगा कि राजस्थान में संपूर्ण कलाल समाज को आरक्षण की सुविधा दी जाय।
श्री जायसवाल ने बताया कि मिलने के लिए आवेदन पत्र रजिस्टर्ड डाक द्वारा 11 जुलाई को गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय महासचिव, उत्तर प्रदेश अध्यक्ष को समय मांगा गया किन्तु किसी ने संज्ञान नहीं लिया। स्मरण रहे कि 2014 से 2024 तक लोकसभा मे एक-दो छोटे राज्यों को छोड़कर उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छतीसगढ, महाराष्ट्र, दक्षिण भारत के राज्यों सहितत किसी भी राज्यों मे टिकट नहीं दिया। राज्यसभा एवं विधान परिषद में भी हमारे समाज के लोगों को प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं दिया है।
अखिल भारतीय कलवार कलाल कलार जायसवाल महासभा एवं पिछड़े वैश्यों की उपेक्षा चुनावों मे नहीं कर सकेगी। महासभा अपनी रणनीति बना ली है। इस बार चुनावों में दिखाई देगा। पहले चरण में सत्ता पक्ष से मिलने की प्रक्रिया जारी है। दूसरे चरण की घोषणा पहले चरण के आधार पर लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान मे परिस्थितियों में आवश्यक है। सत्ता या विपक्ष में शामिल हुए किसी भी समस्याओं का समाधान होना बहुत ही मुश्किल है। महासभा ने जो रणनीति बनाई है, उसमें कोई परिवर्तन नहीं की गई है। महासभा भी अपने स्तर से अपने समाज के लोगों एवं पिछड़े वैश्यों का हक़ व हिस्सा दिलाने के लिए ही रणनीति के तहत कार्यरत है।