शमीम अहमद
मड़ियाहूं, जौनपुर। स्थानीय नगर के मडियाहूं पीजी कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। बताया जाता है कि कार्यक्रम का संचालन मनोविज्ञान विभाग के प्रभारी डॉ. दया सिंधु ने किया।
डॉ. दया सिंधु ने आत्महत्या के मनोवैज्ञानिक कारणों उसके निदान और बचाव के उपायों पर विस्तार से चर्चा की। मुख्य वक्ता के रूप में भूगोल के सहायक आचार्य डॉ. जितेंद्र पाल ने अपने प्रतियोगी छात्र के रूप में अनुभव को साझा करते हुए छात्र आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति के कारणों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि छात्रों में आत्महत्या की दर छात्राओं की तुलना में अधिक होती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. सुरेश कुमार पाठक ने की। प्रो. पाठक ने कहा कि बढ़ती हुई अपेक्षाएं और उसके अनुरूप क्षमताओं का अभाव मानसिक दबाव उत्पन्न करता है जो छात्र छात्राओं के मध्य आत्महत्या के प्रेरक का कार्य करता है।बी एड तृतीय सेमेस्टर के छात्रा आस्था वर्मा ने छात्रों के मध्य बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति के पीछे समाज और परिवार की भूमिका को उजागर किया।
कार्यालय अधीक्षक डॉ. शशि पाण्डेय ने ऐसी मानसिक स्थिति में मनोचिकित्सक की भूमिका को रेखांकित किया। प्राचीन इतिहास के सहायक आचार्य में आत्महत्या की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को स्पष्ट किया और वर्तमान समय में बढ़ रही आत्महत्या की प्रवृत्ति से पाश्चात्य पद्धति में अंतर किया। बीएड विभाग के सहायक आचार्य डॉ. विजय चतुर्वेदी ने शैक्षिक पाठ्यचर्या में छात्र मनोविज्ञान की भूमिका के महत्व को आत्महत्या रोकथाम का एक महत्वपूर्ण उपकरण बताया।
अंग्रेजी विभाग के प्रभारी प्रो. आञ्जनेय पांडेय ने साहित्य की दृष्टिकोण से विषय पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर महाविद्यालय के डॉ. विवेक सिंह, ज्ञानेश तिवारी, डॉ. त्रिपुरारी उपाध्याय, डॉ. रवींद्र तिवारी, डॉ. अमिताभ कुमार, डॉ. विवेक कुमार मिश्र सहित की शिक्षक एवं बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।