- क्या विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था अब अनुदेशकों के भरोसे चलेगी?
डा. प्रदीप दूबे
सुइथाकला, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के डेहरी विद्यालय में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है जहां प्रभारी प्रधानाध्यापक हनुमान प्रसाद प्रजापति और एकमात्र शिक्षक अनिल चौधरी का एआरपी पद पर चयन हुआ है। इस चयन ने क्षेत्र में चर्चा का विषय बना दिया है, क्योंकि अब विद्यालय में केवल दो अनुदेशक बचे हैं जो मानदेय आधारित शिक्षण कार्य करते हैं। नियम के तहत अनुदेशकों को पूर्ण शिक्षक का दर्जा नहीं मिला है, इसलिए वे विद्यालय की शैक्षणिक और प्रशासकीय व्यवस्था को संभालने में सक्षम नहीं हो सकते हैं।
ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था अनुदेशकों के भरोसे चलेगी? लोगों का मानना है कि विद्यालय को एक जिम्मेदार और अनुभवी व्यक्ति की आवश्यकता है जो शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रख सके।स्थानीय अधिकारी द्वारा दोनों शिक्षकों को एआरपी पद के लिए अग्रसारित करना एक सोचनीय पहलू है। अब विभाग को विद्यालय की शैक्षणिक और प्रशासकीय व्यवस्था के लिए कोई नई व्यवस्था करनी होगी। लोगों में चर्चा है कि विभाग इस स्थिति से कैसे निपटेगा और विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था को कैसे सुधारेगा। एआरपी पद के लिए चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा और माइक्रो टीचिंग शामिल होती है।
चयनित शिक्षकों को विद्यालयों में निपुण बनाने के लिए लगाया जाता है लेकिन इस मामले में दोनों शिक्षकों का चयन होने से विद्यालय में अनुदेशकों की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। खण्ड शिक्षा अधिकारी आनन्द प्रकाश सिंह का कहना है कि अभी चयन प्रक्रिया को अन्तिम रूप नहीं दिया गया है,बच्चों की शिक्षा व्यवस्था बाधित नहीं होने पायेगी। सम्प्रति डेहरी विद्यालय में प्रभारी समेत शिक्षक का एआरपी पद पर चयन एक बड़ा मुद्दा बन गया है। अब देखना यह है कि विभाग इस स्थिति से कैसे निपटता है और विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था को कैसे सुचारू रूप से संचालित कराता है।
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