- जिस परिवार के बुजुर्ग के नाम पर पड़ा पराऊगंज बाजार का नाम, वह हुआ बेघर
- 47 साल से न्यायालय में मुकदमा था लम्बित
- इसके अलावा कोई जमीन नहीं है, खुले आकाश के नीचे रहने को हुआ विवश
अतुल राय/जितेन्द्र सिंह चौधरी
जलालपुर, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र थाना क्षेत्र के पराऊगंज बाजार में एक परिवार के अवैध कब्जे को दीवानी न्यायालय के आदेश पर अदालत अमीन और भारी संख्या में पुलिस की मौजूदगी में जेसीबी लगाकर ध्वस्त किया गया। इस दौरान पुलिस और अदालत अमीन को अवैध कब्जाधारकों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। उक्त जमीन को लेकर 1978 से मुकदमा अरुण कुमार बनाम हरिदास लंबित चल रहा था। 14 सितंबर 2023 को अरुण दुबे के पक्ष में फैसला आया। उक्त साढ़े चार बिस्वा जमीन को खाली करने के लिए हरिदास, कामता, रामचंद्र, छोटे लाल, हरिलाल को नोटिस जारी हुई थी। जमीन खाली नहीं होने पर न्यायालय ने पुलिस अधीक्षक को कोर्ट से लेटर जारी कर पुलिस बल मांगा गया और पुलिस के एक दिन का वेतन कोर्ट में मुकदमा वादी से जमा कराया गया।
अदालत अमीन सुनील सरोज ने बताया कि पूरी जमीन हुए कब्जे को खाली कराकर वादी के पक्ष में देने के आदेश मिला है जिसका पालन कराया जा रहा है। कब्जा खाली कराने के लिए चार जेसीबी का सहारा लिया गया। इस दौरान अवैध कब्जा धारकों ने अदालत अमीन से हाथापाई किया और छप्पड़ जला दिया। महिलाओं ने सड़क पर लेटकर ध्वस्तीकरण विरोध किया। प्रभारी निरीक्षक गजानंद चौबे ने महिला पुलिस के सहयोग से महिलाओं को समण—बुझाकर सड़क से हटाया। महिलाओं ने स्वयं को आग लगाने का प्रयास किया। गैस सिलेंडर में भी आग लगाने का प्रयास करते हुए पूरी कार्यवाही की दौरान तांडव करती रही।
समाचार लिखे जाने तक जमीन खाली कराने की प्रक्रिया चलती रही।ध्वस्तीकरण से कब्जाधारकों का सामान खुले आसमान के नीचे आ गया है। न्यायालय के आदेश से जिनका कब्जा हटवाया गया, उनके पास इस जमीन के अलावा कोई दूसरी जमीन नहीं है। लगभग 100 साल से जमीन पर लोग काबिज थे। बताते चलें कि जो बाजार आज चमक रही है, उसके जन्मदाता इसी परिवार के बुजुर्ग स्व. पराऊ सरोज थे। पराऊगंज बाजार का नाम और उनकी एक प्रतिमा भी लगी है। इसके बावजूद न्याय पालिका द्वारा पक्ष में फैसले से पूरे क्षेत्र के लोग आहत हैं। आखिर यह गरीब लोग अब कहां जाएंगे, कुछ पता नहीं जिसको लेकर पूरे क्षेत्र में चर्चा हो रही है।
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