- असगरे बेशीर जैसा सूरमा कोई नहीं...
- देश की मशहूर अंजुमनों ने अली असगर की शहादत को किया याद
एके जायसवाल
जौनपुर। नगर के बलुआ घाट मोहल्ला स्थित मकबूल मंजिल में शनिवार की रात अंजुमन हुसैनियां की ऐतिहासिक तरही ऑल इंडिया शब्बेदारी का 82वां दौर शुरू हुआ जो रविवार की सुबह खत्म हुआ। इसमें देश की मशहूर 5 अंजुमनों के अलावा शहर की प्रमुख अंजुमनों ने पूरी रात कर्बला के सबसे कमसिन शहीद जनाबे अली असगर की याद में अपने दर्द भरे नौहे पेश किया। अलविदाई मजलिस के बाद गहवारे अली असगर और अलम, ताबूत निकाला गया जिसकी जियारत के लिए हजारों लोग मौजूद रहे।
शब्बेदारी का आगाज तिलावते कलाम-ए-पाक से सै. अली हसनैन श्यान ने किया। पेशखानी में डॉ ज़फर अहरौलवी व हिजाब इमामपुरी ने अपने कलाम पेश किये। सोजख्वानी लियाकत अली खां बनारस व उनके हमनवा ने पढ़ा। मजलिस को खेताब करते हुए मौलाना प्रो. अबुज़र अली सीवान बिहार ने कहा कि इमाम हुसैन के सबसे छोटे बेटे जनाब अली असगर जिनकी उम्र छह माह की थी। यजीदी फौजों ने उस वक्त कर्बला के मैदान में तीन भाल के भारी भरकम तीर से इमाम के हाथों में शहीद कर दिया। जब वे यजीदी फौजों से इस बच्चे के लिए दो कतरा पानी पिलाने के लिए मांग रहे थे। अली असगर 3 रोज के भूखे-प्यासा थे पर जालिमो को उनपर भी रहम नही आया।
इस दर्दनाक मंज़र को सुनकर लोग दहाड़े मारकर रोने लगे। इसके बाद नौहा मातम का सिलसिला मिसरा तरहे "असगरे बेशीर जैसा सूरमा कोई नहीं... व शह के हाथों प कोई हैदरे कर्रार न हो" पर नौहा मातम शुरू हुआ। इस अवसर पर अंजुमन गुलदस्ता ए हैदरी ज़रेली बरेली, मखदुमियाँ गाज़ीपुर, शैदाए हुसैनी मेमन सादात बिजनौर, अंजुमन ज़ुल्फेकरियाँ जाफराबाद जलालपुर अम्बेडकरनगर, अंजुमन हैदरिया मनियारपुर सुलतानपुर के अलावा शहर की प्रमुख अंजुमनों ने अपने दर्द भरे नौहे पढ़कर कर्बला के सबसे कमसिन शहीद अली असगर को अपना नजराने अकीदत पेश किया।
अलविदाई मजलिस मौलाना मेराज हैदर खान आजमगढ़ ने पढ़ा जिसके बाद शबीहे ताबूत, अलम, झूला अली असगर निकाला गया। शब्बेदारी का संचालन मज़ाहिर नूरी जलालपुरी व डॉ शोहरत जौनपुरी ने संयुक्त रूप से किया। अन्त में आभार अध्यक्ष सकलैन हैदर खान, महासचिव मिर्ज़ा जमील व सै. तहसीन हैदर ने प्रकट किया।