राकेश शर्मा
खेतासराय, जौनपुर। शिव बजरंग रामलीला समिति बादशाही तालाब मनेछा द्वारा आयोजित भव्य रामलीला मंचन में रविवार की रात वह क्षण उपस्थित हुआ जिसका इंतज़ार हजारों की भीड़ सांस रोककर कर रही थी। भगवान श्रीराम द्वारा शिवधनुष उठाने और उसे भंग करते ही सम्पूर्ण वातावरण जय श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। धनुष टूटते ही मानो पूरा पण्डाल श्रद्धा और भक्ति में डूब गया। मंच पर कलाकारों के भावपूर्ण अभिनय ने दर्शकों को ऐसा अनुभव कराया मानो वे स्वयं मिथिला नगरी के उस ऐतिहासिक प्रसंग के साक्षी बन रहे हों। जैसे ही रामजी ने सहजता से धनुष उठाया और उसे प्रत्यंचा चढ़ाने का प्रयास किया। पूरा मंचन रोमांच से भर उठा। जैसे ही वह धनुष भंग हुआ, पण्डाल तालियों, नगाड़ों और शंख ध्वनि से गूंज उठा।
दर्शकों की आंखों में भक्ति और उत्साह के साथ भावुकता भी छलक रही थी। कई श्रद्धालु तो अनायास ही जय सियाराम और हर हर महादेव के नारे लगाने लगे। महिलाएं सिर पर आरती की थाल लिए झूम उठीं, बच्चे खुशी से उछल पड़े और लोग मंत्र—मुग्ध होकर मंच की ओर निहारते रहे। रामलीला के निर्देश राकेश शर्मा ने बताया कि यह रामलीला पिछले कई दशकों से निरंतर आयोजित की जा रही है और हर वर्ष धनुष-भंग का यह दृश्य भक्तों के हृदय में एक नई ऊर्जा और आस्था का संचार करता है। इस अवसर पर स्थानीय गणमान्य नागरिकों सहित आस-पास के गांवों से भी भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम में व्यवस्था की विशेष देख—रेख की गई थी। भव्य सजावट, आकर्षक प्रकाश व्यवस्था और पारंपरिक संगीत ने पूरे वातावरण को दिव्यता से भर दिया।
रामलीला के इस प्रसंग के बाद दर्शक देर रात तक मंचन देखते रहे और रामजी की लीला का रसास्वादन करते रहे। अंत में रामलीला समिति के अध्यक्ष भीम यादव ने आगन्तुकों के प्रति आभार व्यक्त किया। वास्तव में शिव बजरंग रामलीला समिति की इस प्रस्तुति ने यह स्पष्ट कर दिया कि रामलीला केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और सामाजिक एकता का प्रतीक है। धनुष-भंग के इस ऐतिहासिक दृश्य ने भक्तों के हृदय में यह भाव फिर से जगा दिया कि सत्य और धर्म की विजय अवश्य होती है।
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