- शहर में प्रतिवर्ष करोड़ों रूपये का होता है वारा—न्यारा मगर बारिश होने पर झील, तालाब जैसी स्थिति बन जाती है नगर की सड़क एवं गलियों में...
5 दशक पहले बनी सीवर लाइन (अण्डर ग्राउण्ड) नाला के ऊपर बने भवनों की नींव मजबूत करने को उसे नाली बना दिया गया। जैसे झील में गिरने वाला भैंसा नाला अस्तित्व विहीन हुआ। इस जनपद में दशकों से अतिक्रमण 'बे- लगाम' है, झील, बाग-बगीचे और जमीन के नीचे, गोमती की तलहटी भी है शिकार, बरसाती नालों को तो ऐसे मोड़ा जाता है मानो वह नलकूप की नाली हैं, उस पर खड़े होते जा रहे हैं होटल और इमारतें। 3 की मौतों पर तीन प्रमुख सवाल- पहला मछलीशहर पड़ाव की सड़क पर क्यों खुला था सीवर लाइन का मेन होल? दूसरा- इसके पास लगे खम्भे व तार से कैसे फैला करंट? और तीसरा- अब तक सीवर लाइन की सफाई होती थी या नहीं? क्योंकि पठान टोलिया के पास नाले में मिले दो शव खोजने में लगे 26 घंटे से अधिक समय।
मनोज उपाध्याय
जौनपुर। सोमवार 25 अगस्त की शाम 4.30 से 5.30 बजे तक एक घंटे बग़ैर धार टूटे अनवरत बारिश ने जौनपुर शहर को सराबोर कर दिया। सड़क पर चलने वाले दुकानों की छांव ढूढ़ते रहे, यही वह समय था जब युवती प्राची मिश्रा उस खुले मेन होल की चपेट में आ गई जिसमें खम्भे से से उतरा करंट फैला था, उसे बचाने को युवक मो. समीर और शिवा गौतम लपके तो वह भी 'पानी और करंट' रूपी काल के गाल में समां गये। इस तरह उनके लिए यह 'मौत की बारिश' साबित हुई। इसके बाद पुलिस- प्रशासन उसी सीवर लाइन के खुले मेनहोल को खोदने लगा जिसमें 3 जिंदगियां अपना अस्तित्व खो चुकी थीं। यानी उनके पास नाले का ब्लू प्रिंट नहीं था।
दरअसल मछलीशहर पड़ाव जहां से तहसील मुख्यालय और कस्बे तक जाने को वाहन मिला करते रहे हैं, ऐसे ही नामधारी पड़ाव हर तहसील के लिए हैं जहां 5 दशक पुराने खुले और बंद नाले हैं। घटनास्थल के सीवर लाइन का मेनहोल ढक्कनविहीन यानी जाली भी नहीं लगी थी। तेज़ बारिश में सड़क 'नहर' में तब्दील हो गई थी। उस खुले मेन होल में पानी ऐसे खिंच रहा था। जैसे उफनाई नदी में घूमती भंवर हो। इसी भंवर में प्राची मिश्रा खिंच गई और डूबते हुए उसके हाथ बाहर दिखे तो उसे बचाने के लिए समीर और शिवा दौड़ पड़े लेकिन वह भी काल कवकित हो गये।
मछलीशहर पड़ाव के इस घटनास्थल पर दरअसल दो रूपों में मौत मौजूद थी। तीनों युवा पानी से तो बच जाते मगर छिपा हुआ करंट उनको ताकत विहीन कर दिया। अब यहीं दो विभाग के आला जिम्मेदार नगर पालिका के अध्यक्ष व अधिशासी अधिकारी और बिजली विभाग के अधिशासी अभियन्ता और एसडीओ पर पब्लिक की तरफ़ से सवाल खड़े हैं? इसका जवाब मिलना ही चाहिये, क्योंकि अब जनता की जान जोखिम में पड़ चुकी है।
दिलचस्प पहलू तो यह है कि इस घटना से घंटे भर पहले हुई प्रशासनिक बैठक में वाराणसी की तर्ज पर आगामी त्योहारों और बारिश के मद्देनज़र करंट के फैलने से रोकने को सभी बिजली के पोल पर प्लास्टिक की पन्नी चिपका दिये जाने का दावा बिजली विभाग ने किया था जिसकी पोल नगर पालिका की तरह बिजली विभाग की भी तेज़ बारिश में खुल गई। अतिक्रमण पर सवाल तो तो पांच दशक से उछल रहे हैं जिनका जवाब मास्टर प्लान के पास नहीं है, क्योंकि फर्जी नक्शे के बल पर यह विभाग हर साल लाखों के वारे-न्यारे कर रहा है, यदि ऐसा न होता तो नाले, बगीचे, शहरी तालाब, पार्क, झील पर होटल और व्यापारिक संस्थान कैसे खड़े नज़र आ रहे हैं।
5 दशक में पहली बार अतिक्रमण भी परोक्ष रूप से जानलेवा साबित हुआ है। मछलीशहर पड़ाव के घटना स्थल वाला नाला सड़क पर तो अंडर ग्राउंड था लेकिन पठान टोलिया तक वह खुला था, जैसे-जैसे विकास के नाम पर भवन बनते गए उसी रफ्तार में नाला सिकुड़ता और दफ़न होता गया, उसके ऊपर बड़े मालशॉप और सत्ताधारी दल के एक नेता का मकान तो पिलर के सहारे नाले पर ही बना है। इस नेता का परिवार कई मायनों में कुख्यात है। सिने स्टार दिवंगत राजेश विवेक (उपाध्याय) का आधा मकान कब्जा लिया है। यह पूरा इलाका कभी जहाँगीराबाद के नाम से जाना जाता रहा है। हाल के दशकों से यह तहसील वाले पड़ाव के रूप में प्रचलित हुआ। आज स्थिति यह है कि यहां से रौजा तक जाने का रास्ता भी नहीं है। मृतकों के शव कटघरे वाले नाले से निकालने को एक दुकानों वाले कटरे से गुजरना पड़ा।
डीएम और एसपी अपने मातहतों के साथ लगातार 26 घंटे जमे व बने रहे, अब पब्लिक को इंतजार है, उस जांच कमेटी के रिपोर्ट की जिसे डीएम ने बनाई है, उसी रिपोर्ट से तीन सवालों के जवाब मिलेंगे और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी सम्भावित है। इन बच्चों की दर्दनाक मौत से जौनपुर के विकास की पोल खोल कर रख दिया। जौनपुर नगर में सड़क नाली और सियार बनने के नाम पर करोड़ों रुपए आवारा नर हो चुका है लेकिन विकास कहीं दिख नहीं रहा है। नदी के किनारे सुंदरीकरण के नाम पर प्रतिदिन वहां जाकर अपनी फोटो खिंचवाना और सड़कों गलियों में गांजा बनवाकर बोर्ड पर अपना नाम लिखवाने का फेसबुक और अखबारों के माध्यम से स्वयं—भू विकास पुरुष होने का जो लोग दावा करते हैं, उनके ऊपर हुए इस हादसे का जिम्मेदार क्या माना जाएगा?
शहर की जनता इस बात से कृपा है कि अभी तक नगर पालिका के जिम्मेदार अधिकारी और संबंधित विभाग के बिजली विभाग के अधिकारियों के ऊपर जिला प्रशासन ने कार्रवाई क्यों नहीं किया? घटना में शहर के हिसाब विधायक और प्रदेश के मंत्री जो अमृत योजना को ले हुए अभी तक चुप क्यों बैठे हैं, जिम्मेदार कर्मचारियों और अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं करवा रहे हैं। जनता उनसे सवाल कर रही है। मंत्री के खिलाफ जनता में जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है।