जौनपुर: सीजोफ्रेनिया एक मानसिक बीमारी, यह पूर्णतया ठीक हो सकती है: डॉ. हरिनाथ यादव
AAP KI UMMID | For Advertising Contact- 8081732332
- विश्व सीजोफ्रेनिया दिवस पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन
जौनपुर। विश्व सीजोफ्रेनिया दिवस के अवसर पर बुधवार को नगर के श्री कृष्णा न्यूरो एवं मानसिक रोग चिकित्सालय में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर न्यूरो एवं मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. हरिनाथ यादव ने मरीजों व उनके साथ आये अभिभावकों को सीजोफ्रेनिया के बारे में समझाते हुए बताया कि सिजोफ्रेनिया एक मानसिक बीमारी है जो पूर्णतया ठीक हो सकती है। यह मस्तिक में रासायनिक असंतुलन, सामाजिक और व्यवसायिक दुष्क्रियाओं से होने वाला एक मानसिक विकार है। यद्यपि सीजोफ्रेनिया के भ्रांतिमूलक विचार व भ्रम के कारण कभी-कभी हिंसक व्यवहार दिखाई पड़ता है लेकिन इससे ग्रसित ज्यादातर व्यक्ति न तो हिंसक होते हैं और न ही दूसरों के लिये खतरा होते हैं। हिंसक व्यवहार को दवा से नियंत्रित किया जा सकता है।
डा. यादव ने कहा कि इस बीमारी में मरीज को ऐसा प्रतीत होता है कि कोई उसे आवाज दे रहा है। मरीज को नींद कम आती है। साथ-साथ कभी वह उल्टे सीधे बाते करने लगता है और बिना बात के ही मुस्कुराने व रोने लगता है। उन्होंने कहा कि सीजोफ्रेनिया न तो पारिवारिक पापों के कारण ईश्वरीय दंड है और न ही यह प्रेम की कमी से होता है। यह व्यक्ति के जनेटिक, सामाजिक और उसके वातावरण के कारण होता है। इसके उपचार में शादी से मदद नहीं मिलती है। रोगी को चाहिये कि वह शादी से पहले मनोवैज्ञानिक चिकित्सक से परामर्श ले और होने वाले जीवनसाथी को रोग और उपचार के बारे में अवश्य बतायें। मानसिक कमजोरी पूरी तरह से अलग अलग स्थितियां है जिसमें व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता हमेशा के लिये क्षतिग्रस्त हो जाती है। जबकि समय से और उचित इलाज से मनोबलता ठीक हो जाती है।
डा. हरिनाथ यादव ने प्रभावी उपचार के बारे में बताते कहा कि इलाज पुनर्वास उपचार पद्धति तथा पूरी सामाजिक सहारे और समझ से ग्रसित व्यक्ति का उपचार संभव है। रोगी को सुरक्षित स्थान की आवश्यकता होती है जहां वह स्वस्थ होने के लिये स्थित और एकाग्र हो सके। दवा का नाम, खुराक और सेवन की विधि जानना आवश्यक है। हिंसक हमले के विशेष चेतावनी चिन्हों को पहचाना सीखें। रोगी को सामाजिक बनने के लिये उत्साहित करें। रोगी के पहुंच में पैनी व खतरनाक वस्तुएं न रखें।
उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि किसी तकलीफ साइड इफेक्ट और अनुभव के बारे में चिकित्सक को सूचित करें ताकि वह खुराक में बदलाव अथवा अन्य दवा का चयन कर सकें। चिकित्सक के पास नियमित दिखाते रहे। संगोष्ठी में डॉ. सुशील यादव, लालजी यादव, आशुतोष सिंह, शिव बहादुर, सूरज सहित मरीज़ और उनके अभिभावक उपस्थित रहे।