• ग्रामसभा आमाघाट में कई बड़े घोटालों की है बू, मगर निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है

विशाल रस्तोगी
 सीतापुर। ग्रामसभा आमाघाट की स्थितियों और परिस्थियिां दोनों ही पटरी से उतर चुकी है। शासन की मंशा तो सचिव राम प्रताप यादव के बस्ते में कैद होकर हर गयी है। सूत्रों के अनुसार सचिव ग्रामसभा कभी-कभार ही आते हैं। वह हर कागज अपने आवास पर ही तैयार कर लेते हैं। यह जिस ग्रामसभा में रहे, चर्चित ही रहे। इससे पहले यह सचिव ग्रामसभा छावन में रहे तब भी चर्चाओं के दौर से गुजरा करते थे।
वर्तमान में ग्रामसभा आमाघाट में शासन की मंशा नहीं चलती है, बल्कि सचिव जुबान से जो शब्द निकलता है। ग्रामसभा के लिये वही शासनादेश हो जाता है। जो दिखाई दे रहा है, उसको नजरंदाज भी तो नहीं किया जा सकता है। जब भी सचिव से बात की जाती है तो सचिव का फोन नहीं उठता है। अगर उठ भी गया तो वह अपनी ग्रामसभा में नहीं होते हैं। उनका सीधा जवाब होता है कि मैं बाहर हूं। कभी पार्टी में होना बताते हैं तो कभी राजधानी में। ऐसे हालातों में अगर आज ग्रामसभा में घोटालों की बाढ़ आ गयी है। यहां का प्रधानमंत्री आवास घोटाला चर्चाओं के दौर से गुजर रहा है।
जांच की मांग की जा रही है तो यह उचित है। अगर जांच हुई तो बड़ा घोटाला भी होना पाया जायेगा। इस प्रकार के दावे सूत्रों द्वारा किये जा रहे हैं। यही कारण है कि आज ग्रामसभा आमाघाट वर्तमान में भ्रष्टाचार के मामले में सबसे अव्वल मानी जा रही है। इतना ही नहीं, यहां पर तैनात सचिव श्री यादव ने गणेश परिक्रमा के बल पर अदृश्य शक्तियों की ताकत भी हासिल कर ली है।
पता तो यह भी चला है कि वर्तमान में सचिव ड्यूटी के समय कथित घोटालों को अंजाम देते हैं और ड्यूटी से आफ होने के बाद पूजा की थाली सजाकर अदृश्य शक्तियों की आराधना करके उनसे घोटालों से बचने की ताकत हासिल कर रहे हैं। इस प्रकार की चर्चाएं तो हो रही हैं। इसके अलावा सूत्र भी यही दावा कर रहे हैं। फिर तो दिखाई दे रहा है और सुनाई दे रहा है, उसको तो नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि भ्रष्टाचार की बहती गंगा में पूर्ति निरीक्षक मयंक श्रीवास्तव भी अपने हाथ धो रहे हैं। ऐसे में ग्रामसभा आमाघाट में ईमानदारी अपना दम तोड़ रही है।
गौरतलब हो कि विकास खण्ड गोदलामऊ की ग्रामसभा आमाघाट के सचिव ने अपनी जेबों का वजन तौलने के लिये ऐसी चाल चली कि ग्रामसभा में आवास घोटाला महामारी की तरह फैला है। आवास आंवटन को लेकर जिधर भी नजर दौड़ायी जाय, उधर घेाटाला ही घोटाला नजर आ रहा है। हकीकत तो यह है कि सचिव की जेब भराऊ नीति के चलते केन्द्र सरकारी की सबसे अहम प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी आम जनता को नहीं मिल पा रहा है। सचिव का एक सूत्रीय कथित कार्यक्रम है कि दाम लाओ-योजनाओं का लाभ पाओ। बिना धन के आमाघाट के पात्रों को योजनाओं का लाभ नहीं दिया जाता है।
सूत्रों की मानें तो शासन की सख्ती और जिला प्रशासन द्वारा लिये जा रहे लगातार कड़े निर्णयों के बाद भी आमाघाट के घाघ सचिव द्वारा लगातार प्रधानमंत्री आवास योजना का अपनी आमदनी का जरिया बनाया है। वर्तमान सचिव शासन की मंशा को तिलाजंलि देकर पूरी तरह से अपनी मनमानी कर रहे हैं। सचिव की शासन के विपरीत मंशा को देखकर कहा जा रहा है कि क्या अब ग्रामसभाएं सचिव के मनमाफिक चलेगी। ग्रामसभाओं पर शासन की मंशानुसार कार्य नहीं होगा। सचिव द्वारा हर कार्य में अपनी आमदनी का जरिया खोजा जा रहा है। यहां तक अगर उनका निजी स्वार्थ कामयाब हो रहा है तो सचिव किसी गरीब बेवा को गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाला राशन कार्ड भी काटने से नहीं चूकते हैं।
राशन कार्ड काटकर न खुली बैठक करते हैं और न ही उस खुली बैठक में प्रस्ताव जारी होता है। सभी कुछ कागजों पर जारी करके कथित अपात्र का गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाला कार्ड तक बना देते हैं। आमाघाट ग्रामसभा में ऐसा ही मामला विकास में आया है जिसमें सचिव अपने निजी स्वार्थों के चलते एक कागजी घोड़े दौड़ाते हैं।
एक बेवा का अन्त्योदय योजना का राशन कार्ड काटते हुए कोटेदार की मां के नाम बना दिया। राशन कार्ड कटने के कारण वृद्धा भूख और गम से मर गयी। सचिव को बेवा वृद्धा पर भी रहम नहीं आया। सूत्रों की मानें तो ग्रामसभा आमाघाट के सचिव जोरदार इंसान चाहे वह गरीब हो या फिर अमीर, उसको टच नहीं करते हैं। वह तो केवल उसी के साथ खिलवाड़ करते हैं जिसके बारे में वह सब कुछ जानते हैं। यह व्यक्ति गरीब होने के साथ साथ जानकारी नहीं है। उसी के साथ यह खेल खेला जा रहा है।
वर्तमान में ग्रामसभा आमाघाट के सचिव बेहद चर्चाओं के दौर से गुजर रहे हैं। कहा जा रहा है कि सचिव द्वारा ग्रामसभा में उन लोगों को आवास दे दिये जो आवास के पात्र ही नहीं हैं लेकिन सचिव के कागजों पर वह सभी पात्र ही होने बताये जा रहे हैं। सूत्रो के अनुसार सचिव ने प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देने अपना अलग ही रेट खोल रखा है। जो व्यक्ति सचिव को 25 हजार रूपये मुहैया करवा देता है, उसको आवास का लाभ मिल जाता है।
अपात्रों को दिये जा रहे लाभ को लेकर अब लोगों द्वारा कहा जा रहा है कि ग्रामसभा आमाघाट में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत आवंटित किये गये आवासों की निष्पक्षता के जांच करवायी जाय तो हकीकत का पता अपने आप ही चल जायेगा। सचिव के खेल से ग्रामसभावासी परेशान हो गये हैं। सचिव के दिलो-दिमाग में प्रशासन का किंचित मात्र भी भय है। सचिव यह भी भूल रहे हैं कि प्रशासन द्वारा लगातार दागी सचिवों पर कार्यवाही की गाज गिराई जा रही है। शासन के कड़े फैसलों और प्रशासन की सख्ती के सामने सचिव का ढेर होना तय माना जा रहा है, क्योंकि जागरूकों द्वारा हर घोटालेे के साक्ष्य शासन और प्रशासन के सामने पेश करने की तैयारी की जा रही है जिनको बिन्दुवार साक्ष्य सहित देखने से पता चल जाता है कि ग्रामसभा आमाघाट में बड़े पैमाने पर आवास घोटाला किया गया है।



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