जौनपुर: एएसपी समेत 12 पुलिसवालों पर थर्ड डिग्री व छिनैती का वाद दर्ज, जानिए मामला | #AAPKIUMMID
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- अधिवक्ता व उसके परिवार वालों पर पुलिस ने ढाया था कहर, मतदान के अधिकार से भी किया था वंचित
जौनपुर। दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता राम उजागीर विश्वकर्मा एवं उनके परिवार वालों पर कहर ढाने के आरोप में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने एएसपी ग्रामीण क्षेत्राधिकारी तथा चार थानाध्यक्ष समेत 12 पुलिसकर्मियों पर संगीन धाराओं में वाद दर्ज किया।
अधिवक्ता राम उजागीर विश्वकर्मा निवासी हैदरपुर बक्शा ने कोर्ट में धारा 156 (3) के तहत प्रार्थना पत्र दिया कि वह अपने भतीजे व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ ही 11 मई 2019 को बहन की लड़की रेनू के घर चौथ के लिए जा रहे थे। जब महाराजगंज बाजार में पहुंचे तभी देखा कि सादी वर्दी में 5 लोग एक आदमी को जबरन स्कॉर्पियो बैठा रहे थे। वादी व उसके परिवार वालों के विरोध पर उन लोगों ने खुद को पुलिसकर्मी बताया जिस पर वादी व उसके परिवार वाले किनारे हो गए और पुलिसकर्मी आरोपी कमलेश को थाने ले गए। थोड़ी देर बाद कई पुलिसकर्मी वापस आए और कहे कि तुम लोग आरोपी को ले जाने का विरोध कर रहे थे और मारते पीटते वादी व उसके परिवार वालों को थाने पर ले गए।
एएसपी ग्रामीण संजय राय व सीओ के यह कहने पर कि यही वकील पुलिसवालों के खिलाफ मुकदमा लिखाता है। थानाध्यक्ष बदलापुर, थानाध्यक्ष महाराजगंज, थानाध्यक्ष बक्शा थानाध्यक्ष सुजानगंज व 8-10 अन्य पुलिसकर्मियों ने वादी व उसके परिवार वालों को बेल्ट व लात मुक्के से बुरी तरह से मारा पीटा। पुलिस के उच्च अधिकारियों के कहने पर फर्जी मुकदमे में चालान कर दिए।यह दिखाए कि महाराजगंज बाजार में अधिवक्ता एवं परिवार वालों के हस्तक्षेप के कारण आरोपी कमलेश पुलिस की पकड़ से भाग गया जबकि बाद में थाने पर बंद कमलेश की फोटो वादी के परिवार वालों ने खींचा और विभिन्न समाचार पत्रों में खबर भी प्रकाशित हुई जिस आरोपी को पुलिसकर्मी फरार होना बता रहे थे वह थाने के लॉकअप में बंद था।
पुलिसकर्मियों ने वादी एवं उसके परिवार वालों को वोट देने के अधिकार से भी वंचित कर दिया जिसकी वादी ने निर्वाचन आयोग में शिकायत किया है। अधिवक्ता संघ को प्रार्थना पत्र देने पर पुलिस अधीक्षक से अधिवक्ता मिले। उन्होंने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ त्वरित व प्रभावी कार्यवाही का आश्वासन दिया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। वादी ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, डीजीपी, पिछड़ा वर्ग आयोग, मानवाधिकार आयोग को भी प्रार्थना पत्र दिया है। उसे बराबर पुलिसकर्मियों की ओर से जान से मारने की धमकी दी जा रही है। कोई सुनवाई न होने पर वादी ने आरोपियों को दंडित करने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया।