सुजानगंज, जौनपुर। स्थानीय बरईपार के वारी गांव में चलरही कथा में अयोध्या से पधारे भागवत रत्न शैलेन्द्राचार्य महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा के पाँचवे दिन श्रीकृष्ण जन्म एवं नन्दोत्सव के लीलाओं का कथा सुनाकर कर उपस्थित श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। सैकड़ों धर्म प्रेमी श्रोताओं को कथा का रसपान कराते हुए बताया कि भक्त के भाव को अपने इष्ट के प्रति भक्त की आस्था को केवल प्रभु ही समझ सकते हैं। इसीलिये जीव को अपना दु:ख संसार के सामने नहीं केवल प्रभु के सामने ही प्रकट करना चाहिये। प्रभु पालनहार हैं वो शरण में आये भक्त के सारे दु:खों को हर लेते हैं। श्रीमद् भागवत कथा के दिव्य आयोजन में हजारों महिला पुरूष संतश्री की ओजस्वी वाणी से कथा का रसपान करा रहे है। कथा के प्रारंभ में गीत संगीत व भजन से श्रोतागण झुमने, नाचने एवं कृष्ण भक्ति में लीन हुए बिना नही रहे।
कथा क्रम में कथा वाचक ने कहा कि भगवान का परम भक्त प्रहलाद जिसे कि पिता हिरण्य कश्यप के द्वारा अति भयंकर कष्ट दिये गये। यहाँ तक कि श्री प्रहलाद जी को विष पिलाया गया, हाथी से कुचलवाया गया, अग्नि में जलाया, तरह तरह कि यातनायें दी गई। परन्तु श्री प्रहलाद जी प्रत्येक जगह अपने प्रभु का ही दर्शन करते थे। इसलिये उन्हें कहीं भी किसी भी प्रकार की पीड़ा का एहसास नहीं हुआ। उन्हें विश्वास था कि हमारे प्रभु सदा सर्वदा-सर्वत्र विराजमान है। तो प्रभु श्री नृसिंह भगवान भक्त के विश्वास को पूर्ण करते हुए पत्थर के खंभ से प्रकट होकर दिखा दिया कि वो भक्त की इच्छा एवं विश्वास को पूर्ण करने के लिये कहीं भी किसी भी समय प्रगट हो सकते है।
वामन अवतार की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान किसी न किसी रूप में हमारी रक्षा करते है। राजा बलि का उद्धार करने भगवान को बावन रूप में आना पड़ा था। संतश्री ने नंदोत्सव का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि जो दुसरों को आनंद दे वह नंद और जो दूसरों को यश दे वह यशोदा है। एैसे ही दाम्पत्य में परम आनंद श्रीकृष्ण का जन्म होता है आचार्य श्री ने कंस की व्याख्या करते हुए कहा कि जो भ्रूण हत्या गर्भ हत्या करवाता है वही कंस है।
आचार्य जी ने कहा कि जीव किसी की निन्दा स्तुति करने की जगह भगवान की ही चर्चा करनी चाहिए। प्रभु कथा श्रवण करने से प्रभु के चरित्रो का चिन्तन करने से प्रभु कृपा निश्चित रूप से प्राप्त होती है उन्होंने कहा कि विशाल पेंड़ जिस प्रकार से छोटी सी कुल्हाड़ी से कट जाता है। उसी प्रकार से प्रभु के चरण कमलों का स्मरण करने से जीव के सारे पांप कट जाते है इसके लिये उसे प्रभु की शरण में आना होगा। विशेष महोत्सव के रूप में आज श्री कृष्ण जन्म नन्दोत्सव धूम-धाम से मनाया गया। संतश्री ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर कहा कि गोकुल में चारो तरफ हर्ष व उल्लास का वातावरण है। गोकुल में लोग एक दुसरे को बघाई दे रहे है वहां साक्षात भगवान शिशु रूप में विराजमान है चारो तरफ बधांईयों तांता लगा हुआ था। भागवत कथा एक एैसी कथा है जिसे सुनने ग्रहण करने से मन को शांति मिलती है अपने शरीर में भरी मैल को साफ करने के ए अगर इसे मन से ग्रहण करें तो यह अमृत के समान है।
श्राीमद्भागवत कथा महापुराण में कथा यजमान रामलखन यादव ने लोगों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर समाजसेवी सुशांत यादव, अम्बुज यादव, प्रदीप यादव, अशोक यादव, शिव मूरत पांडेय, राजेन्द्र यादव, पूर्व विधायक लाल बहादुर यादव आदि उपस्थित रहे। आज के कथा समापन पश्चात आरती, पूजन एवं प्रसाद वितरण किया गया।



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