मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश अपराध निरोधक समिति लखनऊ के चेयरमैन डॉ. उमेश शर्मा के निर्देश पर संजय श्रीवास्तव जोन सचिव/जेल पर्यवेक्षक व मयंक सिंह सहायक जोन सचिव जेल पर्यवेक्षक पूर्वी उत्तर प्रदेश और समिति के सदस्यों द्वारा जिला जेल का निरीक्षण किया गया।
उन्होंने बताया कि करीब तीन घंटे के निरीक्षण के उपरांत कुछ चीजों को छोड़कर सभी चीजें सामान्य पाई गई। जेल में कैदियों की संख्या 332 के सापेक्ष 747 हैं जिसमें महिला कैदी 77 तथा बच्चों की संख्या 14 है। जेल के अंदर 30 सीसीटीवी कैमरा लगा है जो पूरी तरह से वर्किंग में है। जेल में मोबाइल का प्रयोग कोई कैदी न कर सके। इसके लिए 8 जैमर मशीन तथा जेल में छुपे मोबाइल को ढूंढने के लिए फ्रांस निर्मित दो डिटेक्टर मशीन है जो कि ढाई फीट तक जमीन में कोई भी मोबाइल छुपा है उसे ढूंढ सकते हैं। जेल परिसर 15 एकड़ में फैला है।

जेल अधीक्षक अनिल कुमार राय और जेलर सुरेश मिश्रा से वार्ता हुई तो उन्होंने बताया कि मिर्जापुर जेल 1901 में बना है। जेल 118 साल पुरानी होने के कारण सभी बैरकें दयनीय अवस्था में है जिससे बरसात में पानी टपकता रहता है। जेल का गंदा पानी जेल परिसर से बाहर करने के लिए पंप लगाकर बाहर करना पड़ता है। जेलर का आवास भी गिरने की अवस्था में है। जेल में मोनू प्रजापति डेंगू तथा मनोज शर्मा एचआईवी पीड़ित हैं।
निरीक्षण के उपरांत जोन सचिव संजय श्रीवास्तव द्वारा बताया गया कि उत्तर प्रदेश अपराध निरोधक समिति जेल मैनुअल के अंतर्गत कार्य करती है जिसके मुख्य संरक्षक राज्यपाल होते हैं। यह संस्था नारी सुधार, बाल सुधार, जेल में खानपान व्यवस्था, चिकित्सा व्यवस्था को देखती है। समय-समय पर यह संस्था जेल का निरीक्षण करके शासन को रिपोर्ट भेजती रहती है। निरीक्षण करने में मुख्य रूप से संजय श्रीवास्तव जोन सचिव/जेल पर्यवेक्षक, सहायक सचिव मयंक सिंह, आनंद विश्वकर्मा, अतुल श्रीवास्तव, विनोद गुप्ता, सागर कसेरा आदि उपस्थित रहे।




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