जौनपुर: श्रमजीवी विस्फोट कांड के आरोपित अदालत में पेश | #AAPKIUMMID
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जौनपुर। श्रमजीवी एक्सप्रेस बम विस्फोट कांड में आरोपित हिलाल एवं नफी कुल विश्वास को बुधवार को जेल से लाकर कड़ी सुरक्षा में अदालत में पेश किया गया। अपने अधिवक्ता से बातचीत के बाद आरोपितों ने अपनी बात से मुकरते हुए कहा कि उनके पास जमानतदार नहीं है। वह बाहर के हैं। इसलिए उनके व्यक्तिगत बंधपत्र को ही स्वीकार किया जाए।
हालांकि इसके पहले एडीजीसी अनूप शुक्ला ने बताया था कि आरोपितों ने उनसे कहा कि उनके पास जमानतदार हैं और वे निर्णय के पूर्व जमानत दाखिल करने के लिए तैयार हैं लेकिन अपने अधिवक्ता से बात करने के बाद वे अपनी बात से मुकर गए। आरोपियों की पेशी के दौरान दीवानी न्यायालय में मंगलवार को सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए थे। गेट पर हर आने जाने वालों की मेटल डिटेक्टर से चेकिंग की जा रही थी। काफी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात थी।
बता दें कि 28 जुलाई 2005 को सिंमगरामऊ थाना क्षेत्र के हरिहरपुर रेलवे क्रासिंग के पास श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में बम विस्फोट कांड में 14 लोगों की मृत्यु हुई थी और 62 लोग घायल हुए थे। विस्फोट कांड के आरोपित आतंकवादी रोनी उर्फ आलमगीर तथा ओबैदुर्रहमान उर्फ बाबू भाई निवासी बांग्लादेश को कोर्ट द्वारा मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी। जिसकी अपील हाईकोर्ट में लंबित है।
आतंकवादी रोनी की अव्यस्कता के संबंध में दी गई अपील को भी कोर्ट ने निरस्त कर दिया था।इसके खिलाफ भी उसने हाईकोर्ट में अपील किया है। वह घटना के समय खुद को नाबालिग साबित कर छूटने की फिराक में था। क्योंकि पुराने अधिनियम के तहत नाबालिग को 3 वर्ष तक की ही सजा का प्रावधान था।
हालांकि इसके पहले एडीजीसी अनूप शुक्ला ने बताया था कि आरोपितों ने उनसे कहा कि उनके पास जमानतदार हैं और वे निर्णय के पूर्व जमानत दाखिल करने के लिए तैयार हैं लेकिन अपने अधिवक्ता से बात करने के बाद वे अपनी बात से मुकर गए। आरोपियों की पेशी के दौरान दीवानी न्यायालय में मंगलवार को सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए थे। गेट पर हर आने जाने वालों की मेटल डिटेक्टर से चेकिंग की जा रही थी। काफी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात थी।
बता दें कि 28 जुलाई 2005 को सिंमगरामऊ थाना क्षेत्र के हरिहरपुर रेलवे क्रासिंग के पास श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में बम विस्फोट कांड में 14 लोगों की मृत्यु हुई थी और 62 लोग घायल हुए थे। विस्फोट कांड के आरोपित आतंकवादी रोनी उर्फ आलमगीर तथा ओबैदुर्रहमान उर्फ बाबू भाई निवासी बांग्लादेश को कोर्ट द्वारा मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी। जिसकी अपील हाईकोर्ट में लंबित है।
आतंकवादी रोनी की अव्यस्कता के संबंध में दी गई अपील को भी कोर्ट ने निरस्त कर दिया था।इसके खिलाफ भी उसने हाईकोर्ट में अपील किया है। वह घटना के समय खुद को नाबालिग साबित कर छूटने की फिराक में था। क्योंकि पुराने अधिनियम के तहत नाबालिग को 3 वर्ष तक की ही सजा का प्रावधान था।