जौनपुर। पश्चिम बंगाल में कुछ स्थानों पर चिकित्सकों के खिलाफ होने वाले घटनाओं के विरोध में जिले के चिकित्सक 24 घंटे तक इंमरजेंसी एवं इंडोर सेवाओं से विरत रहे। डाक्टरों की हड़ताल 18 जून की सुबह छह बजे के बाद समाप्त होगी। आईएमए के आह्वान पर शहर से लेकर ग्रामीण अंचल में डाक्टरों ने सोमवार को अपनी-अपनी ओपीडी बंद रखा। उधर डाक्टरों की ओपीडी बंद होने का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ा। जिला अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों का ताता लगा रहा। गर्मी के बावजूद घंटों मरीजों को लाइन में लगकर अपना- अपना इलाज कराना पड़ा।

पश्चित बंगाल में एनआरएस मेडिकल कालेज कोलकाता में कुछेक अन्य स्थानों में चिकित्सकोंं के विरूद्व होने वाली एक के बाद एक लगातार घटनाओं से चिकित्सक जगत में रोष व्याप्त है। इसके विरोध में सोमवार को आईएमए भवन पर डाक्टरों की जुटान सुबह दस बजे हुई। जहां डाक्टरों ने अपने गुस्से का इजहार किया।
डा. हरेंद्र देव सिंह ने कहा कि पश्चिम बंगाल में‌ चिकित्सकों के विरूद्व जिन लोगों ने भी हिंसात्मक कार्यवाही किया है। उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और चिकित्सकों की सुरक्षा का इंतजाम किया जाना चाहिए। डा. क्षितिज शर्मा ने कहा कि इस संबंध में एक कड़ा केंद्रीय कानून लाना चाहिए जो चिकित्सकों के विरोध में हिंसा करने वालों के ऊपर लागू हो सके और हिंसा करने वालों को कड़े से कड़ा दंड मिल सके। सचिव डा. एए जाफरी ने कहा कि आगे का निर्णय केंद्रीय नेतृत्व के आदेश के क्रम में लिया जाएगा।
इस मौके पर डा. मनमोहन श्रीवास्तव, डा. रजनीश श्रीवास्तव, डा. राजेश त्रिपाठी, डा. लाल बहादुर सिद्वार्थ, डा. डीपी सिंह, डा. संजय सिंह, डा. एसएन वर्मा, डा. आर.ए. मौर्य, डा. मिथिलेश मौर्या, डा. बीपी सिंह, डा. नीलेश श्रीवास्तव, डा. एके मिश्रा, डा. वीएस उपाध्याय, डा. एनके सिन्हा, डा. अजीत कपूर, डा. विकास सिंह, डा. शशीप्रताप, डा. पारूल मौर्या, डा. सुभाष सिंह, डा. आरपी बिंद आदि मौजूद रहे।



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