जौनपुर। सिंगरामऊ क्षेत्र के भूला गांव में चल रहे संगीतमयी श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ कथा में पांचवे दिन श्री कृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया गया। बाल व्यास जितेंद्र कृष्ण परासर ने कृष्ण-रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि प्रवचन के दौरान कहा कि कोई माता-पिता, गुरु के ऋण से कभी उऋण नहीं हो सकता। स्वयं श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता से भी यही कहा है। जो पुत्र अपने माता-पिता की सेवा, आदर-सम्मान के साथ नहीं करता, वह चाहे जो भी हो नरक को प्राप्त होगा।

साथ ही भागवत कथा में कथाव्यास ने उपस्थित श्रद्धालुओं पर अमृतवर्षा करते हुए उद्धव-गोपी संवाद सुनाया। कहा कि श्रीकृष्ण ने गोपियों को ज्ञान संदेश देने के लिए उद्धव जी को उनके पास भेजा था। परंतु गोपियों के निष्काम प्रेम ने उन्हें जीत लिया। अतः निष्काम भक्ति ही सर्वश्रेष्ठ और भगवान की कृपा प्राप्त करने का एकमात्र माध्यम है। काफी संख्या में आए श्रद्धालु प्रवचन सुनकर भक्तिरस में डूबे रहे।
इस अवसर पर कृष्ण-रुक्मिणी विवाह को साकार करते हुए मनोहर झांकी सजाई गई। जिसमें श्रीकृष्ण-रुक्मिणी का स्वयंवर मंच पर प्रस्तुत किया गया। परासर जी ने श्री कृष्ण जी के जीवन गाथा को विस्तारपूर्वक बताया। इस अवसर पर आयोजक संजय मिश्र, घनश्याम शुक्ल, राजकेशर मिश्र, अरविंद मिश्र, मूलचंद मिश्र, रामप्यारे मिश्र आदि उपस्थित रहे।




DOWNLOAD APP