जौनपुर। शिया जामा मस्जिद नवाब बाग जौनपुर में जुमे की नमाज के बाद एहतेजा़जी जलसा आयोजित हुआ। जलसे की शुरुआत तेलावते कलाम-ए-पाक से अजीम नकवी जौनपरी नेे किया।
जलसे की सदारत करते हुए इमाम-ए-जुमा मौलाना महफुजुल हसन खां ने कहा कि सऊदी अरब की सरकार ने जिस तरह से 37 शिया मुस्लमानों का कत्ल कराया है वह जघन्य अपराध है। क्या अपने अधिकारों के लिये आवाज उठाना इतना बड़ा जुर्म है कि उनके साथ अमानवीय सुलूक किया जाये। इन 37 लोगों में कुछ नौजवान है, कुछ धार्मिक विद्वान एवं शिक्षाविद् है। यह एक प्रकार का सरकारी आतंकवाद है जिसका प्रर्दशन सऊदी हुकुमत ने किया है। आज मानवााधिकार के लिये अवाज उठाने वाली सरकारे भी खामोश है। अमेरिका ने मौन धारण कर एक प्रकार से सऊदी सरकार का समर्थन किया है। यू.एन.ओ ने भी मानवााधिकार के उल्लघंन का कोई नोटिस सऊदी सरकार के खिलाफ नहीं लिया है।

जलसे को सम्बोधित करते हुये मौलाना सै. आबिद रज़ा मोहमदाबादी ने कहा कि श्रीलंका में चर्च पर हुये अतांकवादी हमले की हम घोर निंदा करते है वह इस घटना में मारे गये लोगों के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते है। वह सऊदी अरब सरकार ने 37 बेगुनाहो का कत्ल कर के यह साबित कर दिया है कि पूरी दुनिया में आतंकवादी घटनाओं का केन्द्र बिन्दु सऊदी अरब है वह अमेरिका उसका साथी है इसराईल समर्थक है। शिया मुसलमानों को सऊदी सरकार द्वारा कत्ल किये जाने पर पूरी दुनिया खामोश क्यो।
जलसे का संचालन कर रहे शिया जामा मस्जिद के मुतवल्ली/प्रबंधक शेख अली मंज़र डेजी़ ने कहा कि दुनिया में कही भी जुल्म होगा तो ज़ालीम की मज्ज़मत शिराजे हिन्द जौनपुर के शिया जरुर करेगें। सऊदी अरब, इसराईल एवं अमेरिका का गठजोड़ पूरी दुनिया के लिये एक भयानक खतरा है। सऊदी अरब में शहीद हुये लोगो के प्रति सच्ची श्रृद्वांजलि यही है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली सऊदी अरब की सरकार के पतन के लिये सब मिलकर दुआ करें। श्रीलंका में हुये आतंकवादी हमले में मारे गये परिवार के लोगो के प्रति हम संवदेना व्यक्त करते है। जलसे के अंत में उपस्थित जनों ने सुरे फ़ातेहा पढ़ी। वह आतंक के खिलाफ नारे लगाये।
जलसे को सम्बोधित करने वालों में शकील अहमद, शहिद गुडड् व तालिब रज़ा शकील एडोवोकेट, हाशिम खां, लडंन खां, मिर्जा बाबार, समीर अली, मेराज हैदर, मो. बेलाल, सादिक रज़ा, राशिद रन्नवी, हीरा, अब्बास हैदर अहमद आदि मौजूद रहे।




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