जौनपुर। भगवान के 24 अवतारों का विस्तार ही भागवत महापुराण है। भगवान के कुछ अवतार अंशा अवतार रहे हैं तो वहींं कुछ कला अवतार हैं। जिसके ह्रदय से मत्सर निकल जाए वही कथा का अधिकारी होता है। भगवान की भक्ति ही मानव जीवन का परम उद्देश्य है। यह उद्गार मुंगराबादशाहपुर स्थित सिद्धपीठ श्री महाकाली जी मंदिर के प्रांगण में स्वर्गीय शंकरलाल जायसवाल की पुण्य स्मृति में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए वृंदावन से पधारे स्वामी अंकित आनंद महाराज ने व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि भागवत में 335 अध्याय, 12 स्कंध और 18000 श्लोक हैं। ऋषियों ने नैमिषारण्य की पावन धरती पर 6 प्रश्न सूतजी से किया। उन्होंने आगे कहा कि अश्वत्थामा के ब्रह्मास्त्र प्रयोग से उत्तरा के गर्भ की रक्षा, परीक्षित का जन्म, पांडवों का स्वर्गारोहण, राजा परीक्षित का राज्याभिषेक, की कथा विस्तार से सुनाई।
राजा परीक्षित ने कलयुग को निवास के लिए चार स्थान दिया। कलयुग के विशेष आग्रह पर स्वर्ण का स्थान निवास हेतु बताया। कलयुग महाराज के सोने के मुकुट में बैठने से अधर्म कराया। महाराज ने शमीक ऋषि के गले में मरा सांप डाल दिया। शमीक ऋषि के पुत्र श्रृंगी ऋषि ने श्राप दिया कि आज से सातवें दिन सांप के डंसने से राजा की मृत्यु होगी।
कार्यक्रम के मुख्य यजमान विमला जायसवाल रही। कथा में अनिल कुमार जायसवाल, गामा जायसवाल, सुनील कुमार, प्रदीप कुमार, कृष्ण कुमार जायसवाल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन उपस्थित रहे।




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