रीता विश्वकर्मा
अम्बेडकरनगर। उत्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर जिले के किसान बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती करते हैं, लेकिन अब यही गन्ने की खेती किसानों के गले की फांस बन गई है। पर्ची न मिलने के कारण किसान गन्ना मिल को नहीं दे पा रहे हैं। किसानों का कहना है कि अगर यही हाल रहा तो हम अपनी गन्ने की फसल को खेतों में जलाने को विवश होंगे।

बताते चलें कि जनपद में किसान बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती करते हैं। बहुत से किसान गन्ने की फसल को बेंचकर अगली फसल की जुताई-बुआई करते हैं। इसी के पैसे से किसान अपने बच्चों की पढ़ाई, लिखाई, निमंत्रण आदि की व्यवस्था करते हैं। लेकिन गन्ना बेचने के लिए मिल द्वारा पर्ची जारी न करने से किसानों की गन्ने की फसल खेतों में सूख रही है। जिसका परिणाम है कि किसान अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए गन्ने को औने-पौने दाम पर विचौलियों को बेंच रहे हैं। पर्ची के अभाव में कुछ लोग मिल और तौल कांटे का चक्कर लगा रहे हैं। अकबरपुर चीनी मिल्स (मिझौड़ा) के चालू होने के बाद किसानों में खुशी की लहर व्याप्त थी। लोगों ने भारी मात्रा में गन्ने की फसल की बुआई किया है। जब फसल तैयार हो गई तो मिल से इन्हें तौल पर्ची नहीं मिल पा रही है। इससे यह अपने गन्ने को तौल कांटे पर नहीं भेज पा रहे हैं। पर्ची के इन्तजार में थक हारकर कुछ किसान अपने खेतों को खाली करने के लिए गन्ने को औने-पौने दामों में निजी क्रसरों और बिचौलियों के हाथों बेचने को मजबूर हैं।
इस बावत जब गन्ना विकास परिषद मिझौड़ा-अकबरपुर के ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक रामजी गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि इसमें वह अपने स्तर से कुछ नहीं कर सकते। सब कुछ लखनऊ से सम्भव है। उनका यह लहजा विशुद्ध रूप से टरकाऊ व विपक्ष की राजनीति करने वालों जैसा रहा। रामजी गुप्ता ने कहा कि वह इस समस्या के बावत अभी तब तक कुछ नहीं कर सकते जब तक उत्तर प्रदेश बोर्ड की परीक्षाएँ समाप्त नहीं हो जातीं। क्योंकि उनकी ड्यूटी मजिस्टेªट/पर्यवेक्षक के रूप में लगाई गई है। परीक्षावधि में वह सम्बन्धित क्षेत्रों के परीक्षा केन्द्रों पर जाकर निरीक्षण करने का दायित्व निवर्हन कर रहे हैं। उनके लिए सबसे अहम यह है कि परीक्षाएँ निर्विघ्न, नकलविहीन सकुशल सम्पन्न हों, ताकि उन पर कोई उंगली न उठे।
जिला गन्ना अधिकारी हरेकृष्ण गुप्ता ने गन्ना किसानों को पर्ची न मिलने से सम्बन्धित बात करने पर स्वीकारा कि अभी तक जिले के 2800 गन्ना उत्पादकों को पर्चियाँ नहीं मिल सकीं हैं, यह समस्या जरूर है लेकिन यहाँ से हम कुछ नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि गन्ना उत्पादक गन्ना वेबसाइट पर देखकर कैलेण्डर की फोटोकॉपी लेकर आएँ तब देखा जाए कि उनको पर्ची न जारी होने की क्या वजह है। इन्होंने स्पष्ट रूप से सरकार की नीतियों का विरोध तो नहीं किया लेकिन लहजा जरूर बता रहा था कि सरकार की गन्ना क्रय नीति इनके मनमाफिक नहीं है। इनके पास मीडिया से भी बात करने का समय नहीं है। इतने व्यस्त रहते हैं कि यदि इनके कार्यालय में कोई गन्ना किसान अपनी समस्या लेकर चला जाए तो उसे दुत्कार कर भगा देते हैं। जिला गन्ना अधिकारी हरेकृष्ण गुप्ता के इस आशातीय रवैय्ये से जिले का आम गन्ना किसान/उत्पादक अचंभित व हलकान है। अपने बनावटी बात-चीत व अफसरी दिखावे के चलते हरेकृष्ण जिले में चर्चा का विषय बने हुए हैं। इन दोनों जिम्मेदार अधिकारियों ने गन्ना कृषकों/उत्पादकों की समस्या को हलके में लिया और कुछ भी स्पष्ट तरीके से बताना जरूरी नहीं समझा।
कई गन्ना उत्पादकों ने कहा कि यदि जिला गन्ना अधिकारी व ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक ने अपना अड़ियल व असयोगात्मक रवैय्या नहीं बदला तो जल्द ही गन्ना विकास परिषद अकबरपुर, गन्ना समिति और कलेक्ट्रेट में गन्ना किसान भारी संख्या में पहुँचकर विरोध प्रदर्शन करेंगे और यह तब तक चलता रहेगा जब तक जिले के सभीं उत्पादकों के गन्ना को सरकारी समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं लिया जाएगा, भले ही अकबरपुर चीनी मिल्स को पेराई सत्र की अवधि बढ़ानी ही क्यों न पड़े।

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