जौनपुर। पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजाराम यादव के खिलाफ अधिवक्ता विकास तिवारी द्वारा दायर परिवाद सीजेएम ने निरस्त कर दिया। कोर्ट ने आदेश में लिखा कि कुलपति के खिलाफ कई धाराओं में परिवाद किया गया है जिसमें धारा 505 आईपीसी भी है। इस धारा में संज्ञान लेने के लिए केंद्र सरकार या राज्य सरकार या जिलाधिकारी की मंजूरी लेना आवश्यक है जो कि परिवादी विकास द्वारा नहीं ली गई। परिवादी विकास का कहना है कि वह सीजेएम कोर्ट के आदेश के खिलाफ रिवीजन दाखिल करेंगे।
अधिवक्ता विकास का आरोप है कि 28 दिसंबर 2018 को गाजीपुर में पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. राजाराम यादव ने छात्रों को संबोधन में वक्तव्य दिया कि अगर पूर्वांचल विश्वविद्यालय के छात्र हो तो कभी मेरे पास रोते हुए मत आना। किसी से झगड़ा हो तो उसकी पिटाई करके आना। बस चले तो मर्डर करके आना। उसके बाद हम देख लेंगे।
वक्तव्य से परिवादी व अन्य की भावनाएं आहत हुई क्षोभ व भय कारित हुआ। कुलपति ने उच्च व जिम्मेदार पद पर होते हुए कानून के निदेशों की अवहेलना कर वक्तव्य दिये जिससे छात्रों में उत्तेजना व उन्माद को बढ़ावा मिला। कुलपति ने भारत की एकता व अखंडता को तोड़ने का प्रयास किया एवं राजद्रोह का अपराध किया। छात्रों को हत्या के लिए उकसाया जिससे लोक शांति भंग होने की संभावना पैदा हुई।
कथन के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट की विधि व्यवस्थायें एवं विभिन्न अखबारों की कटिंग सबूत के तौर पर दाखिल की गई। कोर्ट ने मामले को पहले बतौर वाद दर्ज किया बाद में परिवाद की पोषणीयता पर बहस हुई और कोर्ट ने परिवाद निरस्त कर दिया।






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