• स्वामी जी ने पत्रकार वार्ता में कहा- विश्व कल्याण के लिये निकला हूं

जौनपुर। तंत्र का जन्म भगवान भोले शंकर द्वारा दिया गया ज्ञान रूपी आशीर्वाद से है जिसका मतलब तन से निकलने वाले तरंग से है। तंत्र, मंत्र, यंत्र सकारात्मक सोच वालों के लिये है, न कि नकारात्मक सोच वालों के लिये। उक्त बातें श्री राज राजेश्वरी भगवती बगलामुखी सिद्ध शक्तिपीठ मुम्बई के संस्थापक सद्गुरू स्वामी दिव्य चेतनानन्द जी महाराज ने कही।
महाराज जी ने रविवार को नगर के ओलन्दगंज स्थित एक होटल में पत्रकारों से वार्ता करते हुये कहा कि जन्म से लेकर मृत्यु तक मनुष्य का जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ है। वास्तव में देखा जाय तो जीवन सभी स्थितियों से लड़ने व जूझने में समाप्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि तंत्र का 64 रूप होता है जिसको समझ लेने वाले का जीवन सफल हो जाता है।
वहीं महाविद्याओं की संख्या 10 है। दुनिया में स्वयं जीने वाले बहुत हैं लेकिन दूसरों के लिये जीने वालों की संख्या कम होती है। यदि जिस दिन दूसरों के लिये जीने वालों की संख्या ज्यादा हो जायेगी, उस दिन दुनिया में हर तरह खुशी का माहौल हो जायेगा। स्वामी जी ने कहा कि नया चिंतन, नयी कल्पना, नया कार्य, अहिंसा विश्व भारती की नये मानव एवं नये विश्व निर्माण की आधारशिला है।
पत्रकार वार्ता के दौरान रमेश सिंह, प्रदीप सिंह, विजय अग्रहरि, राजेन्द्र अग्रहरि, श्याम चन्द्र गुप्ता सहित तमाम शिष्य उपस्थित रहे।

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