जौनपुर। पूर्वांचल की आस्था के केन्द्र मां शीतला चौकियां धाम में चल रहे श्रीराम कथा प्रवचन के चौथे दिन डा. अखिलेश चन्द्र पाठक ने बताया कि आत्मा व परमात्मा का बोध कराने के प्रसंग को सत्संग कहते हैं। जिसके जीवन से सत्य निकल गया, वह पतन के रास्ते पर जाता है। सत्य ईमान व समाज के प्रति उत्तम व्यहार करने की संजीवनी बूटी है।
श्रीराम कथा मानव जीवन को सही पथ पर ले जाने के लिये कल्याणकारी व स्वाध्याय सत्संग का उत्तम साधन है। पाप के बाप का नाम लोभ है। लोभ के कारण बेईमानी व भ्रष्टाचार को शक्ति मिलती है। श्रीराम कथा से लोभ व पाप से बचा जा सकता है। क्रोध व ईर्ष्या विकास में सबसे बड़ा बाधक है। काम की प्रधानता से बुद्धि, विवेक व ज्ञान नष्ट हो जाते हैं।
उपरोक्त कठिनाइयों से बचने के लिये सत्संग की आवाश्यकता है। चार बातों को कभी छोटा नहीं समझना चाहिये। अग्नि, रोग, शत्रु व पाप जीवन को नष्ट कर देती है। पारस लोहे को छूकर सोना बना देता है लेकिन उस सोने को कोई लोहा नहीं बना सकता है। इसी तरह संत कृपा हो जाने पर जीव परमात्मा की शरण में चला जाता है। फिर माया का उस जीव पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
इस अवसर पर मनोज मौर्य, शिव आसरे गिरी, मदन गुप्ता, प्रवीण पण्डा, सचिन गिरी, विनय गिरी, राम आसरे साहू, हनुमान त्रिपाठी, विपिन सैनी सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।




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