अंतःकरण की शुद्धि के लिए आस्थावानों ने नदियों-तालाबों पर स्थित घाटों पर लगाई डुबकी, पूजा अर्चना के बाद अरवा चावल, चने की दाल और लौकी (कद्दू) की सब्जी का प्रसाद ग्रहण किया।
सुरेश गांधी
वाराणसी। साक्षात भगवान भास्कर की आराधना का चार दिवसीय अनुष्ठान छठ पूजा की शुरुआत रविवार को नहाय-खाय के साथ ही प्रारंभ हो गया। शहर से लेकर देहत तक में नदियों-तालाबों पर स्थित घाटों पर हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने अपने परिजनों के साथ डुबकी लगायी। स्नान करने का बाद महिलाएं भगवान सूर्य की पूजा अर्चना भी की। इस दौरान छठ के गीत चहुओंर गूंज रहे हैं। व्रतियों द्वारा गाये जा रहे छठ के गीत से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है। पहले दिन छठ व्रत करने वाले पुरुषों और महिलाओं ने अंतःकरण की शुद्धि के लिए नदियों, तालाबों और विभिन्न जलाशयों में स्नान करते हैं। इसके बाद अरवा चावल, चने की दाल और लौकी (कद्दू) की सब्जी को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने की मान्यता है।

छठ की हर रस्म प्रकृति व हमारे स्वास्थ्य से सीधी जुड़ी हैं। छठ में उपवास रहने से शरीर की कैलोरी जलती है। पाचन तंत्र ठीक रहता है। सुबह में पानी में खड़े होकर अर्घ्य देने के दौरान सूर्य की किरणें शरीर पर पड़ती हैं, उससे विटामिन डी की कमी की भरपाई हो जाती है। किसी तरह के चर्म रोग में इससे लाभ होता है। छठव्रती पानी में खड़े होकर अर्घ्य देती हैं। इससे सूर्य की किरण आंख के बीच संपर्क बनता है। कमर तक पानी में सूर्य की ओर देखना सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। त्वचा संबंधी रोगों में सूरज की किरणों से लाभ होता है। यह श्वेत रक्त कणिकाओं की कार्यप्रणाली में सुधार कर रक्त की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। सौर ऊर्जा हार्मोन के स्राव को नियंत्रित करने की शक्ति प्रदान करती है।
रोज सूर्य ध्यान शरीर और मन को आराम देता है। ‘आरोग्यम भाष्करात इच्छेसु यानी सूर्य में आरोग्य देने की पूर्ण शक्ति है। सूर्य के सात घोड़े हैं, विज्ञान भी मानता है सूर्य की सात किरणें हैं। असल में ये सातों किरणें ही आरोग्य श्रोत हैं। सूरज की डूबती किरणें और सुबह की पहली किरणें हमारे शरीर को एक अलग ही ऊर्जा देती हैं, समग्र क्रांति के रूप में। प्रतिदिन सूर्योदय से डेढ़ घंटा पहले उठकर नित्यक्रियासे निवृत होकर सूर्य नमस्कार करने का विधान बताया गया है। ताम्बे के एक लोटा में स्वच्छ जल लेकर पूर्वाभिमुख होकर सूर्यार्घ्य दें।
हस्त-मुद्रा चिकित्सा में भी सूर्य-मुद्रा के बारे में बतलाया गया है। अनामिका अंगुली को मोड़कर इसके ऊपरी पोर के भाग को अंगूठे के मूल पर लगाकर अंगूठे से दबाएं। कुछ देर दबाकर रखें। मन शांत होगा। मोटापा कम होगा। तनाव कम होगा। सूर्य को स्थावर और जंगम जगत की आत्मा कहा गया है। जीवन का प्राण सूर्य है।