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अभिनेता वही जिसकी मिमिक्री की जा सके। यह उद्गार है हिंदी सिनेमा व टेलिविज़न जगत से सशक्त हस्ताक्षर उम्दा अदाकार पवन मल्होत्रा के...। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के जाने माने निर्देशक अश्वनी चौधरी के निर्देशन में बन रही फिल्म सेंटर्स के सेट पर अभिनेता पवन मल्होत्रा ने बताया कि फ़िल्म इंडस्ट्री का ये सबसे सकारात्मत प्रायोगिक दौर है। जहाँ एक अच्छी कहानी और कुशल निर्देशन किसी सैकड़ों करोड़ की फ़िल्म पर भारी पड़ती है। हाल का उदाहरण लें ठग्स ऑफ हिंदुस्तान और बधाई हो का..जहाँ ठग्स आफ हिंदुस्तान अपनी लागत नहीं निकाल पाई वहीं छोटे बज़ट की फ़िल्म बधाई हो 100 करोड़ का आंकड़ा कमाई में पार कर गई।
थियेटर और फ़िल्म में मूल अंतर बताते हुए पवन मल्होत्रा ने कहा कि,"फिल्मों में काम करना ज्यादा कठिन है। थियेटर में सब कुछ फिक्स है जैसा है वैसा ही होना है। सेट एक ही है उसी पर परफॉर्म करना है पर फ़िल्म में हर क्षण बदलाव है। एक किरदार से अगले सीन में जाने के लिए किरदार परिवर्तित...फिल्म करना अर्थात अपने अंदर हर पल एक नए किरदार का सूत्रपात करना रचनात्मक बने रहना।
किसी विशेष रोल चाहत के सवाल पर खुलकर बोलते हुए कहा कि "दूरदर्शन के धारावाहिक नुक्कड़ से शुरू हुआ सफर मुझे नित्य कुछ नया करने की प्रेरणा देता है..जितना मेरे लिए नुक्कड़ के सैयद का किरदार महत्वपूर्ण था उतना ही भाग मिल्खा भाग का चरित्र..सतत नवीन किरदारों को जीना व उन्हें जीवित करना किसी भी किसी भी अभिनेता के उसके जीवन काल की उपलब्धि है..अभिनेता वही जिसकी मिमिक्री की जा सके।
दिल्ली में जन्मे पवन जी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से आर्ट्स में स्नातक की पढ़ाई की है। उसके वह दिल्ली थिएटर से जुड़ गए। वही से उन्हें सीधे टीवी दुनिया में एंट्री मिल गयी। 1986 में पवन को उनका पहला शो दूरदर्शन का नुक्क्ड़ मिला जिसमे उन्होंने सईद का किरदार निभाया था। इसी शो के जरिये पवन घर-घर में पहचाने जाने लगे। साल 1984 में पवन को उनकी पहली अब आएगा मजा में काम करने को मिला। उन्होंने कई सालों तक बतौर सहायक निर्देशक बुद्धदेव दासगुप्ता, सईद अख्तर मिर्जा, श्याम बेनेगल, दीपा मेहता के साथ काम किया। उसके बाद साल 2006 में वह सोनी के टेलीविजन शो ऐसा देश है मेरा में नजर आये। उसके बाद उन्होंने फ़िल्मी दुनिया में कदम रखा। जहां उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में किया, फिल्म जब वी मेट और भाग मिल्खा भाग जैसी फिल्मों आलोचकों ने उन्हें अभिनय की खूब सरहाना की। उन्होंने अपने फ़िल्मी सफर में नेगेटिव पॉज़िटिव हर तरह के किरदार निभाए। जिसके चलते उन्हें कई बार पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया।
हिमांशु राज़