जौनपुर। कथा वाचक पण्डित निर्मल कुमार शुक्ल ने कहा कि तुलसीदास रचित रामचरित मानस की एक-एक चौपाई हमारे लिए महामंत्र के समान है। रामचरित मानस परिवार को एकसूत्र में पिरोने की सीख देता है। इसीलिए भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है। वह बक्शा विकास खण्ड के गौराखुर्द निवासी शारदा प्रसाद सिंह के आवास पर पांच दिवसीय श्रीराम कथा अमृत महोत्सव के अंतिम दिन भक्तों के बीच प्रवचन कर रहे थे। 

उन्होंने कहा कि रामचरित मानस में कुल 37 बार ''तेहि अवसर" शब्द आया है जब- जब यह शब्द आया है, रामायण की दिशा बदल गई है। उन्होंने कहा कि कहते है कि रावण को मारने के लिए राम ने कुल नौ करोड़ बाण छोड़े थे, परन्तु रावण को पता था कि मेरी मौत का कारण राम को नहीं पता है। वह सिर्फ भाई विभीषण ही जानता है। उन्होंने कहा कि महाप्रतापी रावण शनिदेव को चौखट के नीचे आंख बाध कर रखा था।
मानस मर्मज्ञ प्रकाश चन्द्र विद्यार्थी ने कहा कि कलयुग में धरा पर सिर्फ महापराक्रमी हनुमान का वास है। हनुमन्त लाल का पूजन करने वाले का शत्रु बाल बांका भी नहीं कर सकता। विद्यार्थी ने कहा कि रामकथा सुनने मात्र से समस्त कष्टों का निवारण हो जाता है।
इस दौरान जितेन्द्र सिंह, राजमणि सिंह, अनित कुमार सिंह, हरिचन्द्र दूबे, सालिगराम सिंह, श्यामजी मिश्र, वेदाकर मिश्र, श्यामनारायण जायसवाल, अशोक शुक्ल, इन्द्रसेन यादव, घनश्याम सिंह, दीनानाथ तिवारी, पारसनाथ मिश्र आदि मौजूद रहे। संचालन डॉ. हरिशंकर शुक्ल ने किया।