जौनपुर। मुंगराबादशाहपुर कस्बे सहित आसपास के इलाकों से पितृ पक्ष अश्विन कृष्ण प्रतिपर्दा से गया जाने, पितरों को तर्पण देना, पिण्ड दान करना तथा श्राद्ध कर्म करने का सिलसिला शुरू हो गया है।

घरों व तालाबों पर अपने पितरों को याद करते हुए लोगों ने पिंडदान तथा कुश, अक्षत के साथ पुष्पांजलि दी। बीते गुरूवार की देर शाम को मुंगरा कस्बे के विभिन्न मोहल्लों से तुलसी राम स्वर्णकार, अनिल कुमार गोलन, शिवप्रसाद गुप्त, राधेश्याम मल्लू, बद्री प्रसाद साहू सहित दर्जन भर लोग अपने पत्नी के साथ पिंडदान हेतु गया (बिहार) प्रस्थान किया। श्राद्ध कर्म यात्रा धूमधाम से गांजे बाजे के साथ निकाली गई।
श्राद्ध कर्म हेतु गया जाने वाले लोगों से मिलते जुलते चल रहे थे। शक्तिपीठ मां काली जी मंदिर में माथा टेककर दुस्टनाशक मां काली मइया का आशीर्वाद लिया। मां काली के जयकारों से मंदिर परिसर गूंज उठा। उन्हें प्रस्थान पर छोड़ने के लिए नर नारियों तथा बच्चों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। कस्बे के निश्चित स्थानों से गया जाने वाले लोगों को यात्रा मंगलमय होने की कामना के साथ उनके शुभेच्छुओं ने उन्हें रवाना किया।
पितृ दोष दूर करने में पिंडदान फलदाई
जौनपुर। पितृपक्ष धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व के साथ हिन्दुओं का महोत्सव माना गया है। यह बातें मुंगराबादशाहपुर के मोहल्ला बभनौटी निवासी आचार्य पंडित सिद्धार्थ त्रिपाठी ने पितृपक्ष के महत्व पर चर्चा के दौरान बताया। उन्होंने कहा कि पिंडदान करने तथा तर्पण देने से पितरों के भटकाव दूर होने तथा व्यक्तियों को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। श्राद्ध कर्म पितृपक्ष अश्विन कृष्ण प्रतिपर्दा से प्रारंभ होकर पितृ विसर्जन अमावस्या तक होता है। उन्होंने पिंडदान के महत्व को बतलाया। कहा कि गया क्षेत्र के 54 वेदियों पर पिंडदान का विशेष महत्व होता है। यही पितृ ऋण से छुटकारा दिलाता है। उन्होंने कहा कि विष्णु पद प्रेत शिला पर जाने से व्यक्ति के 101 कुलों का उद्धार हो जाता है।