लखनऊ। केजीएमयू और पीजीआई के कर्मचारियों ने अपनी मांगों को पूरा न किए जाने का विरोध जताया। मंगलवार को दोनों ही संस्थानों के कर्मचारियों ने काला फीता बांधकर पूरा दिन काम किया। दोनों ही संस्थानों में एक सप्ताह तक कर्मचारी इसी तरह से काला फीता बांधकर विरोध जताते रहेंगे। उसके बाद पदाधिकारियों व कर्मचारियों के साथ बैठक करके अगले आंदोलन की रणनीति तय करेंगे। सातवें वेतनमान का भत्ता मिले केजीएमयू के कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष विकास सिंह और महामंत्री प्रदीप गंगवार ने बताया कि मरीजों के हित को ध्यान में रखते हुए बिना कार्य ठप किए विरोध किया जा रहा है।
कर्मचारी काफी समय से सातवें वेतनमान का भत्ता न मिलने, संवर्ग पुनर्गठन और नियमावली 2011 के संशोधन की मांग पर अड़े हैं। पीजीआई और केजीएमयू के कर्मचारी सोमवार को अपनी मांगों के समर्थन में चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन से भी मिले थे। उन्हें मांगपत्र सौंपा था। मंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया है कि वह उनकी मांगों को कैबिनेट की बैठक में उठाएंगे। एम्स की समतुल्यता मिले कर्मचारी महासंघ पीजीआई अध्यक्ष सावित्री का कहना है कि पीजीआई को एम्स दिल्ली की समतुल्यता प्राप्त है। वर्ष 2011 से पहले एम्स में जो भी वेतनमान व अन्य भत्ते लागू होने के कुछ दिन बाद ही पीजीआई में लागू हो जाते थे। बसपा सरकार ने नियमावली 2011 में बदलाव कर प्रदेश सरकार की अनुमति के बाद सुविधाएं मिलने का आदेश कर दिया था। उसके बाद से कर्मचारियों को समस्याएं हुईं।


संस्थान के करीब 20 से अधिक संवर्ग के कर्मचारियों का पुनर्गठन कई वर्षो से रुका हुआ है। बड़ा आंदोलन करेंगे प्रदीप गंगवार का कहना है कि कई वर्ष से कर्मचारियों का प्रमोशन नहीं हुआ है। लंबे समय से कर्मचारी एक ही पद पर काम करने को मजबूर हैं।
इसके अलावा कई अन्य मांगें भी कर्मचारियों की पूरी नहीं की जा रही है। दोनों संस्थानों के अधिकारी कर्मचारी विरोधी कार्यों में लिप्त हैं। यदि सरकार कर्मचारियों की मांगें जल्द पूरा नहीं करेगी तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।