अजय जायसवाल
गोरखपुर। गोरखपुर मंडल में 4 संसदीय सीटों पर 3 सीटों पर ब्राह्मणों को टिकट दिया गया है जबकि एक भी वैश्यों को टिकट नहीं दिया है। भाजपा ने वैश्यों के साथ अन्याय किया है। इसकी कीमत भाजपा को चुकानी होगी। वैश्य बाहुल्य 17 सीटों ख़ासकर पूर्वांचल में भाजपा ने वैश्य बाहुल्य सीटों पर बड़ी संख्या में ब्राह्मणों को टिकट देकर वैश्यों के साथ अन्याय किया है। वैश्य समाज को भाजपा बंधुआ मजदूर समझती हैं। वैश्य समाज भाजपा को हमेशा मतदान भी करता रहा है किन्तु अब इस चुनाव में पहले जैसा माहौल नहीं हैं| पहले से ही भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को अवगत रजिस्ट्री पत्र, ईमेल एवं अखबारों के माध्यम से सचेत  करा दिया था कि भाजपा ने वैश्यों की उपेक्षा किया तो भाजपा को नुक़सान उठाना पड़ेगा तथा वैश्य बाहुल्य 17 सीटों पर पिछड़े वैश्य ही चुनाव लड़ेंगें। बाकी कुछ सीटों पर सामान्य वैश्य भी चुनाव लड़ेंगे किन्तु भाजपा अपने हठधर्मिता से बाज़ नहीं आई। 

यहां एक उदाहरण देने की आवश्यकता है महाभारत का एक प्रसंग है। पांडवों की ओर से युद्ध के पहले एक प्रस्ताव भेजा गया पांडवों को 5 गांव ही दे दिया जाय किन्तु कौरवों ने प्रस्ताव ठुकरा दिया जो हुआ सर्वविदित है, इसलिए कोई बड़ा फैसला लिया जाय, इसके पहले भाजपा को एक सुझाव है कि गोरखपुर मंडल में चारों जिलों में एक पिछड़े एक दलित एक ब्राह्मण, एक क्षत्रिय एवं एक वैश्य को टिकट दे दिया जाय तथा उत्तर प्रदेश के विधानसभा के रिक्त पदों पर हो रहे उपचुनाव मे यहां भी एक प्रत्याशी बदलकर वैश्य समाज का प्रत्याशी घोषित करें| मोदी जी का फार्मूला भी लागू हो जाएगा सबका साथ, सबका विकास एवं सबका विश्वास के साथ कुछ समस्या का समाधान भी हो सकता है। उक्त बातें अपना समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ध्रुवचंद जायसवाल ने पत्र—प्रतिनिधि से हुई वार्ता के दौरान कही।

उन्होंने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व ने अधिकांश मनुवादी प्रवृत्ति के खास-खास लोगों को टिकट दिया है। भाजपा ने समाज मे वैमनस्यता फैलाने का कार्य किया है। समय रहते प्रत्याशियों को बदला जाए नहीं तो अभी एक ही समाज भाजपा के लिए मुसीबत पैदा किया है। कहीं एक ओर समाज भाजपा के लिए मुसीबत पैदा करने के लिये बाध्य हो जाय। दोनों समाज भाजपा का प्रबल समर्थक रहा है। अगर घर के बुनियाद की ईंट निकल गई तो घर ढहने में देर नहीं लगेगी। जब किसी भी समाज के हक़ पर डांका डाला जायेगा तो उक्त समाज हक़ लेने के लिए कोई न कोई फार्मूला तैयार करना ही पड़ेगा।भाजपा के रणनीतिकारों को समाधान करना ही होगा। अगर भाजपा समाधान करने से चुका तो भाजपा को उत्तर प्रदेश में अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ेगा, इसलिए समाज में संतुलन बनाए रखना जरुरी है तो एक सप्ताह के अन्दर 27 अप्रैल तक प्रत्याशियों को बदलकर सभी समाज को हक़ दे दिया जाय। 28 अप्रैल को अपना समाज पार्टी का चुनाव संचालन समिति की बैठक होगी। बैठक में विचार—विमर्श कर वैश्य बाहुल्य संसदीय सीटों पर नई रणनीति बनाई जायेगी। उक्त क्षेत्रों पर विशेष तौर पर कार्य शुरु कर दिया जायेगा|