जौनपुर। मोदी सरकार के सर्वसमावेशी सर्वस्पर्शी बजट का स्वागत है। गोकुल एवं राष्ट्रीय कामधेनु योजना कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र के लिये वरदान साबित हो सकती है। आयकर की सीमा 2.50 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रूपये तक करके मध्यम वर्ग वालों को राहत पहुंचाना स्वागत योग्य कदम है लेकिन इसे बढ़ाकर कम से कम 8 लाख रूपये तक ले जाना चाहिये, क्योंकि 8 लाख आय वालों को गरीब सवर्ण माना गया है।
उक्त बातें प्रो. विक्रमदेव आचार्य डीन प्रबन्ध संकाय वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कही है। उन्होंने आगे कहा कि पीएम श्रम योगी मानधन योजना, घुमंतू कल्याण परिषद की घोषणा, गरीब किसानों एवं असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों हेतु सामाजिक सुरक्षा के प्रावधान की शुरूआत भी अच्छे कार्य हैं लेकिन मामूली धनराशि की व्यवस्था कोई बड़ा सुधार नहीं ला सकती।
मंहगाई भत्ते को आयकर मुक्त क्यों नहीं किया गया, पर सवाल करते हुये उन्होंने कहा कि आयकर, जीएसटी सहित सभी प्रत्यक्ष ध्अप्रत्यक्ष करों को समाप्त करके बैंक ट्रांजेक्शन टैक्स लाने का वायदा सरकार ने विगत 5 वर्ष में क्यों नहीं कर सकी? इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सर्वकल्याणक शिल्पकार समाज हेतु शिल्पकार मंत्रालय/राष्ट्रीय बोर्ड के गठन के 5 वर्ष पुराने वायदे को सरकार ने 5वें वर्ष भी क्यों नहीं पूरा किया?
गांव, गरीब, किसानों के लिये सरकार द्वारा बजट का प्रावधान ऊंट के मुंह में जीरा है। 300 लाख से अधिक विदेशी बैंकों एवं 500 लाख करोड़ से अधिक स्वदेश में पड़े काले धन को राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित क्यों नहीं किया गया?






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