जौनपुर। जनपद में रविअउवल की नौवचंन्दी जुमेरात को शिया बाहूल क्षेत्रों के इमामबाड़ों, अज़ाखानों व मस्जिदों से अलम व ताबूत का जूलूस उठाया गया। इसी क्रम में अन्जुमन कासिमिया चहारसू के द्वारा आयोजित जूलूस की मजलिस को आली जनाब मौलाना उरूज हैदर  खां साहब ने खेताब किया।

उन्होंने कहा कि इस्लाम को मानने वाला इंसानियत को ज्यादा अहमियत देता है। फतह ए मक्का के बाद जब पैगम्बरे इस्लाम मोहम्मद मुस्तफा स.अ.व.व. से कहा गया कि आज बदला लेने का दिन है तो पैगम्बर ने कहा कि नहीं आज माफ कर देने का दिन है। मौलाना ने बताया कि 11वें इमाम हजरत हसन अस्करी अ.स. का जन्म मदीने में 232 हिजरी में अरबी महीने के रवीऊसानी की 10 तारीख को हुआ था उस वक्त अब्बासी खलीफा का दौर था। आप की ज्यादातर जिन्दगी कैदखाने में ही गुजरी। इसके बाद भी अपने इमामत के दौर में जब कभी इस्लाम पर कोई मुसीबत आई तो इस्लाम विरोधी ताकतो को आपने मुहतोड़ जवाब दिया व आपने मुसलमानों की बहुत मदद की व इस्लाम को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आपको अब्बासी खलीफा मोतमद ने 260 हिजरी में ज़हर के द्वारा शहीद कराया। आपको इराके के शहर सामरा दफ्न किया गया। मौलाना ने बीबी सकीना का मसायब पढ़ा तो उपस्थित जनसमूह की आंखे नम हो गई।
मजलिस की सोजखानी जनाब दानिस व अन्जुमन जाफरी मखदूम शाहअढ़न, अन्जुम अजाए हुसैन ने नौहा और मातम किया। जूलूस अपने कदीमी रास्तो से होता हुआ चहारसू की मस्जिद में आकर सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर जूलूस के संयोजक जनाब आले हसन फैज़ी मौहम्मद, सलमान, अलीऔन, समाजसेवी ए. एम. डेजी, शौकत हुसैन, फहीम हैदर, नेयाज हैदर, आसीफ आब्दी, नासिर रजा गुड्डू, मोनू, गोविन्दा, असलम नकवी आदि उपस्थित रहे।