जौनपुर। प्रतिपल समर्पित भाव से जीवन जीने का नाम ही भक्ति है जिसमें जीवन का हर पल उत्सव के समान बन जाता है।’ उक्त् उद्गार मड़ियाहू पड़ाव स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन के प्रांगण में आयोजित विशेष सत्संग समारोह पर एकत्रित विशाल संत समूह को सम्बोधित करते हुए महात्मा रामबचन ने निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन संदेशों को बताया। 

कार्यक्रम का लाभ लेने हेतु जौनपुर सहित अन्य स्थानों से भी सैकड़ों की संख्या में भक्तगण उपस्थित हुए। भक्ति पर्व समागम पर परम संत सन्तोख सिंह सहित अन्य संतों भक्तों के तप-त्याग को स्मरण किया जाता है जिन्होंने ब्रह्मज्ञान की दिव्य रोशनी के प्रचार प्रसार हेतु निरंतर प्रयास किया।

भक्ति की परिभाषा को सार्थक रूप में बताते हुए सत्गुरु माता जी ने बताया कि भक्ति का अर्थ तो सरल अवस्था में जीवन जीना है जिस पर चलकर आनंद की अवस्था को प्राप्त किया जा सकता है। इसमें चतुर चालाकियों का कोई स्थान नहीं। भक्ति तो संपूर्ण समर्पण वाली भावना है जिसमें समर्पित होना ही सर्वोपरि है। 

सत्गुरू माता ने बाबा गुरबचन सिंह की शिक्षाओं से एक उदाहरण दिया कि जिस प्रकार एक घर बनाने से पूर्व उसका नक्शा बनता है। फिर उस पर ही घर का निर्माण किया जाता है। जब तक वह निर्मित नहीं होता, उसका आनंद प्राप्त नहीं किया जा सकता। अन्त में सत्गुरु माता ने सभी श्रद्धालुओं एंव संतों को भक्ति मार्ग पर अग्रसर होने हेतु प्रेरित किया तथा पुरातन संतों की भक्ति भावना से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को सार्थक बनाने का आह्वान किया।

इस आशय की जानकारी उदय नारायण जायसवाल मीडिया सहायक ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी है।