भारत ही नहीं पूरी दुनिया में हर सेकंड, हर मिनट कोरोना का खौफ बढ़ता ही जा रहा है। भारत में कोरोना फैलने की बड़ी वजह तबलीगी जमात है। कुल कोरोना संक्रमित मरीजों में 35 फीसदी तबलीगी जमात के हैं। देश में कोरोना संक्रमित के कुल 3378 केसों में 2900 तबलीगी जमात के हैं। मतलब साफ है जमात के चलते कोरोना का कहर 17 राज्यों में फैल चुका है। सभी को क्वॉरेंटाइन के लिए रखा गया है। पिछले 24 घंटे में कुल 781 नए केस हुए हैं, जिसमें 21 लोगों की मौत हो चुकी है। सभी मृतक जमात के ही हैं। इनमें 68 लोगों की हालत बेहद गंभीर है। अब तक 79 लोगों की मौत हो चुकी है।
सुरेश गांधी
हो जो भी हकीकत तो यही है कि कुछ लोगों के आचरण की वजह से भारत में संक्रमण का स्तर लॉकडाउन से पहले वाली स्थिति में पहुंच गया है। पूरे देश में पिछले 11 दिनों से लॉक डाउन है, और तबलीगी जमात ने 135 करोड़ लोगों की 10 दिनों की मेहनत को बर्बाद कर दिया। 23 मार्च तक भारत में इस वायरस के 500 मामलों की पुष्टि हो चुकी थी। उस समय तक भारत में हर तीन दिन में केस दोगुने हो रहे थे। 25 मार्च को लॉक डाउन लागू होने के बाद अगले 4 दिनों में इसका असर दिखाई दिया। 29 मार्च के बाद हर 5 दिनों में संक्रमण के आंकड़े दोगुने हो रहे थे। लेकिन अब नियमों के उल्लंघन की वजह से हर 3 दिनों में कोरोना वायरस के मामलों के डबल हो जाने की आशंका है।
भारत में 1 मार्च को इस वायरस के 3 मामले थे, और इसे 1000 तक पहुंचने में 28 दिनों का वक्त लगा। लेकिन एक हजार से 2 हजार तक पहुंचने में सिर्फ 4 दिन लगे। पिछले 94 दिनों में विश्व के 180 से ज्यादा देशों में, 10 लाख से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। पूरी दुनिया की एक तिहाई जनसंख्या यानी लगभग 250 करोड़ लोग लॉक डाउन की वजह से अपने घरों में बंद हैं। कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या ढाई लाख होने में 80 दिन लगे थे। इसके बाद 6 दिन में ढाई लाख मरीज और बढ़ गए। अगले ढाई लाख मामले सिर्फ 4 दिन में बढ़े। इसके बाद सिर्फ 3 दिन में ढाई लाख मरीज और बढ़ गए। यानी 93 दिन में आंकड़ा 10 लाख के पार हो गया। करीब 58 हज़ार लोगों की मौत भी हो चुकी है। कहा जा सकता है इस वायरस के संक्रमण की रफ्तार बहुत तेज़ है।
खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी समेत पूरे पूर्वाचंल में तबलीगी जमात के लोगों ने कोरोना का इतना जबरदस्त विस्फोट किया है कि इसकी तबाही से उबरने में सालो लग जायेंगे। प्रशासन की मानें तो वाराणसी समेत पूर्वाचल के विभिन्न जिलों में पकड़े गए जमात से जुड़े 15 तब्लीगी की कोरोना रिपोर्ट पाजिटिव आई है। यह संख्या अभी और बढ़ेगी क्योंकि कई की रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 276 हो गई है। इसमें गौतमबुद्धनगर 58, आगरा  44, मेरठ 33, गाजियाबाद में 23, लखनऊ 17, सहारनपुर के 6 मरीज हैं. 34 जिले हॉटस्पॉट बताए गए हैं. अब तक 21 कोरोना मरीज ठीक हुए हैं। वाराणसी के चार बड़े इलाकों में कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद कर्फ्यू लगा दिया गया है। इसमें मुस्लिम इलाका मदनपुरा, लोहता, गंगापुर, बजरडीहा शामिल है। बनारस के गंगापुर में कोरोना से पहली मौत कन्फर्म होने के बाद चिंता इस बात की भी है कि संक्रमण कहीं और न फैला हो। एक दिन पूर्व मौत होने के बाद रिपोर्ट कन्फर्म होने के बाद अब आधिकारिक रूप से इसे पहली मौत माना जा रहा है। जबकि पूर्व में यह मौत कोरोना की वजह से नही मानी गई थी। मृतक किनसे सम्पर्क में था और कहां इससे पूर्व इलाज कराया इसकी भी जानकारी हासिल कर सभी को आइसोलेट किये जाने की तैयारी प्रशासनिक स्तर पर शुरू हो गई है। अगर पीड़ित ने किसी अन्य चिकित्सक से इलाज कराया होगा तो उसके द्वारा कई अन्य लोगों में भी संक्रमण की संभावना बन सकती है।
यानी ’मानव बम’ से भी अधिक खतरनाक हो चुके दिल्ली निजामुद्दीन में मरकज से लौटे अन्य राज्यों, जिलों के तब्लीगी किसी बड़े मिशन पर है। ऐसे में कोरोना वायरस से संक्रमित तब्लीगी बनारस से लेकर अन्य शहर की किन गलियों में मौत बनकर घूम रहे कुछ नहीं कहा जा सकेगा। यानी यह समय लापरवाही का नहीं, गलतियों से सबक लेने का है। उन्हें तुरंत सुधारने का है। गीता, रामायण, कुरान और बाइबिल की तरह हमें यह कंठस्थ कर लेना चाहिए कि कोरोना से बचाव या उसका इलाज केवल घर में रहने का एकांतवास में ही है। शुरू में इसके शिकार जाने अनजाने में बने, लेकिन अब जिनको कोरोना हो रहा है वो सिर्फ लापरवाहियों के चलते ही हो रहा है। इन नए मरीजों की वजह से पिछले 15 दिनों में देश प्रदेशों की सरकारों के इसे रोकने के सारे प्रयास मिट्टी में मिलते नजर आ रहे हैं। फिर चाहे वह अन्य राज्यों से वापस अपने घर लौटने की बीमारी के लक्षणों से जूझने वाले हो या दिल्ली के निजामुद्दीन में हुई तबलीगी जमात में शामिल हुए लोग। सभी देश के लिए मुसीबत बन चुके है। दिल्ली से राजस्थान, कश्मीर से कन्याकुमारी तक पिछले 1 सप्ताह में पीड़ितों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। मतलब साफ है अभी घर में नहीं बैठे तो भारत में इटली, अमरिका, ब्रिटेन बनने में देर नहीं लगेगी। खास यह है कि संक्रमित मरीजों में 20 साल के 7 फीसदी, 41 से 60 साल के 33 फीसदी, 60 से 65 साल के 17 फीसदी है।
यानी एक वायरस के आगे पूरा देश लाचार है। इस अदृश्य दुश्मन से चारों तरफ हाहाकार मचा है। इटली से स्पेन तक यूरोप से अमेरिका तक कोरोना के कहर से जिंदगी सिसक रही है। शहरों में मौत का सन्नाटा पसरा है। बड़ा सवाल तो यही है क्या मजहब के नाम पर देश का माहौल बिगाड़ने की साजिश चल रही है? क्या तबलीगी जमात का मौलाना साद देशभर में कोरोना रूपी मानव बम का जाल बिछा चूका है? क्या महामारी का मौलाना मस्जिद में छिपकर कोरोना बांट रहा है? क्या जमात के लोग भारत में लॉक डाउन के खिलाफ नापाक साजिश रच रहे है? और अगर यह सब सही है तो उसे अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा सका? क्या पाकिस्तान से लेकर ईरान तक के आतंकी संगठन जमात के सहारे भारत में कोरोना फैलाने की अंतराष्ट्रीय साजिश रच रहे है? खास कर यह शक और गहरा तब हो जाता है जब भारतीय मुसलमानो को भड़काने के लिए उत्तेजक व कन्फूजन वाले डबिंग वीडियो देश के सोशल मिडिया में पोस्ट किए जा रहे है। वैसे भी ड्रैगन का फ्यूचर प्लान वायरस फैलाओं और दुनिया पर राज करने का है। यानी जिस पर इस महामारी के खिलाफ जंग का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी है वह दुनियाका सबसे बड़ा व्यापारी बनना चाहता है।

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