दुनिया भर में भयावह होता कोरोना का आतंक शवाब पर है। सवा सौ करोड़ की आबादी वाला भारत भी अब इसकी चपेट में हे। या यूं कहे तबाही का दुसरा नाम बन चुका कोरोना अब पूरी दुनिया को घरों में कैद कर दिया है। अब तक के इतिहास में ऐसा दौर नहीं देखा गया है। क्या मंदिर, क्या मस्जिद, दुकान से लेकर कैफे, पब्स, बार, रेस्तरां, नाइट क्लब, थिएटर, सिनेमा, जिम, बस, ट्रेन, जहाज सब ठप है। शरहदों की सीमाएं सील हो गयी है। मिलना-जुलना, सेकहैंड तो दूर अब सड़कों पर सन्नाटा पसरा है। खौफ इस कदर है कि विकसित देश होने व प्रकृति को मुठ्ठी में कैद करने का दावा करने वाले ट्रंप, पुदिन, किंग जॉन, शी जिनपिंग, शिंजो आबे हो या कोई और सबकी हेकड़ी गले में अटक गयी है। अपनी खूबसुरती पर इतराने वाली इटली व स्पेन में हुई ताबड़तोड़ मौतो ने उतना ही बदरंग कर दिया है। सबके सब भारतीय संस्कृति अपनाने पर विवश हो ‘नमस्ते‘ पर आ पहुंचे है और अब तो मोदी की तर्ज पर वे लोग भी ‘जनता कर्फ्यू‘ लगा रहे है। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है क्या अब कोरोना ने कयामत की घंटी बजाई है?
सुरेश गांधी
हो जो लेकिन हकीकत तो यही है। कोरोना से मरने वालों की संख्या लगातर बढ़ रही है। भारत में सात लोगों की मौत के साथ मरीजों की संख्या बढ़कर 354 हो गई है। गुजरात, बिहार, यूपी व महाराष्ट्र में स्थिति भयावह हो चली है। इसके अलावा केरल, दिल्ली, राजस्थान, असम, झारखंड व पंजाब में संक्रमित मरीजों की संख्या सुरसा के मुंह की तरह बढ़ रही है। यही वजह है कि बढ़ते खतरे को देखते हुए पूरे देश में 31 मार्च तक यात्री रेल सेवाएं पूरी तरह रद्द कर दी गई हैं। स्कूल-कालेज पहले से ही बंद है। स्पेन में तो बीते 24 घंटे में 324 व इटली में 800 लोग अपनी जान गंवा चुके है। यहां अब तक कुल 4825 लोगों की मौत कोरोना की वजह से हो गई है। चीन में भी कोरोना ने इतनी बड़ी तबाही नहीं मचाई थी।
जर्मनी में कोरोना का कहर जारी है। 22 मार्च को जर्मनी में कोरोना के 2705 नए मामले सामने आए हैं। जर्मनी में कुल 16,662 लोग कोरोना से प्रभावित हैं। जर्मनी में अब तक 47 लोगों की इस महामारी से मौत हो चुकी है। बेल्जियम में पिछले 24 घंटे में 558 नए मरीज सामने आए हैं। बेल्जियम में कोरोना से प्रभावित मरीजों की संख्या 2815 हो गई है। मतलब साफ है मौत के आंकड़ों में इटली ने चीन को पीछे कर दिया है। हाल यह है कि इटली के कब्रिस्तानों में जगह नहीं बची है। यानी अब कोई शक नहीं रह गया है कि दुनिया एक गंभीर संकट में है। संकट जितना गंभीर है, उसी हिसाब से घबराहट भी है। दुनियाभर के शेयर बाजार एक के बाद एक गोता लगाते जा रहे हैं। कुछ दिन पहले तक धैर्य रखने की सलाह देने वाले भी अब खुद धीरज का दामन छोड़ते दिख रहे हैं। ये कहना अभी मुश्किल है कि खतरा ज्यादा बड़ा है या उससे फैली घबराहट। लेकिन एक बात तय है दुनिया ने जितने भी संकट देखे हैं, उनमें अब तक ऐसा कोई उदाहरण नहीं मिलता, जिसमें किसी बीमारी ने दुनिया के इतने बड़े हिस्से को इतने बड़े पैमाने पर प्रभावित किया हो।
इटली की चहल पहल पर पूरी तरह ब्रेक लग गया है। इटली के लोग खुद बाहर नहीं आ पा रहे हैं। इटली में लॉकडाउन है और ये कब तक है सरकार को भी इसका अंदाजा अब नहीं रहा है। भारत अभी कोरोना वायरस के महामारी के दूसरे चरण से गुज़र रहा है। लेकिन अगर लोगों ने लापरवाही बरतना नहीं छोड़ा तो जल्दी ही तीसरा चरण आ सकता है। जिस दौरान ये महामारी एक समुदाय से दूसरे समुदाय में फैलने लगेगी। चौथे चरण में जाने पर पूरा देश इसका शिकार हो सकता है। कुछ दिनों पहले इटली के एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर अपना अनुभव बांटते हुए पूरी दुनिया को गंभीरता बरतने की सलाह दी थी। उसके मुताबिक लोग इसे मामूली वायरस मानते रहे और युवाओं को लगता रहा कि इससे सिर्फ बुजुर्ग प्रभावित होते हैं। इसलिए लोग पार्टियां करते रहे, एक दूसरे से मिलते रहे, लेकिन दूसरे चरण में मरीज़ों की संख्या अचानक बढ़ने लगी। आम लोगों को फिर भी लगा कि चिंता की कोई बात नहीं है। लोग अपना जीवन पहले की तरह जीते रहे, दोस्तों से मिलते रहे और सबको इस बात का यकीन था कि ये वायरस उन्हें छू भी नहीं सकता। तीसरे चरण में मरीज़ों की संख्या दोगुनी होने लगी तब वो जागृत हुए लेकिल तब तक काफी देर हो चुकी थी।
चौथे चरण में पूरे देश में जनता कर्फ्यू लगा दी गई, इसके बवजूद अस्पतालों में मरीज़ों की बाढ़ आ गई। हालात युद्ध जैसे हो गए, अस्पतालों में जगह कम पड़ने लगी, डॉक्टरों को फैसला लेना पड़ा कि किसकी जान बचाई जाए और किसकी नहीं। अस्पतालों में हाहाकार मच गया, कड़े फैसले लेकर डॉक्टर और नर्से रोने लगीं। सिस्टम द्वारा की गई सारी व्यवस्थाएं चरमराने लगीं। स्थिति यहां तक पहुंच गयी कि घर से बाहर निकलने पर जुर्माना व मुकदमें दर्ज होने लगे। लेकिन अगर भारत में ऐसा हुआ तो कोहराम मच जायेगा। क्योंकि जब आम दिनों में भारत के अस्पतालों में मरीजों को दवा तो दूर बेड तक नहीं मिलते। इसीलिए कहा जा रहा है कि बचाव ही इसका एकमात्र इलाज है और लापरवाही हुई तो सबकुछ कंट्रोल के बाहर हो जायेगा, गदर मच जायेगी। मतलब साफ है भारत में जिस तरह से कोरोना के मामले अब तेजी से बढ़ते जा रहे हैं उससे लापरवाही में स्थिति भयावह होते देर नहीं लगेगी।
या यूं कहे अब कोरोना को हल्के में लेना...बहुत भारी पड़ सकता है। इटली में ये वायरस अबतक 4805 लोगों की जान ले चुका है। मौतों का ये आंकड़ा कोरोना के जन्मस्थान चीन से भी ज्यादा है। दुनिया में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 3 लाख तक पहुंच गई है। जबकि मृतकों की संख्या 13000 हो गई है। फ्रांस में मरने वालों की संख्या 562 हो गयी है। स्पेन में मृतकों की संख्या में 32 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहां के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने लोगों को कठिन समय के लिए तैयार रहने को कहा है। 35 देशों में लॉकडाउन की स्थिति है। भारत में तेजी से बढ़ रहे आंकड़े के देखते हुए केंद्र व प्रदेश सरकारों ने देश भर में मेट्रो सेवाओं को 31 मार्च तक बंद करने का फैसला किया है। इसके साथ ही दिल्ली मेट्रो, लखनऊ मेट्रो, नोएडा मेट्रो, कोलकाता मेट्रो, कोच्चि मेट्रो, बेंगलुरु मेट्रो बंद हो गया है। कोरोना वायरस इसलिए बहुत खतरनाक है, क्योंकि इसका शिकार होनेवाले को कभी चार-पांच दिन तक और कभी चौदह दिन तक पता ही नहीं चलता कि उसे संक्रमण है। इस दौरान भी वह दूसरों तक यह वायरस पहुंचा सकता है. हजारों लोग ऐसा कर चुके हैं।
यही वजह है कि चीन में जब तक इस बीमारी का असली खतरा सामने आया, उससे पहले ही चीन में और चीन से बाहर दूर-दूर तक वायरस पहुंच चुका था। दूसरी बड़ी समस्या तो यह है ही कि अभी तक इसका न तो कोई इलाज निकला है और न ही कोई टीका तैयार हो पाया है। अपने आसपास ही देख लें। कोई हल्के से खांसने लगे, तो आपको बुखार चढ़ने लगता है। खुद का गला खराब हो, बुखार हो तो तुरंत कोरोना की आशंका होने लगती हैं। डॉक्टर के पास जाने में भी डर है कि वहां दूसरे लोगों से कहीं कुछ भेंट न मिल जाये। लोग घरों से निकलने में डर रहे हैं, बाजार सूने पड़े हैं। सरकार भी कह रही है कि बिना जरूरत घर से न निकलें। कंपनियों को कहा गया है कि जितना हो सके, उतने लोगों को वर्क फ्रॉम होम यानी घर से काम करने को कहें। यह अलग बात है कि पूरी दुनिया कोरोना वायरस के फैलते जाने से चिंतित है और कई स्तरों पर इसकी रोकथाम के लिए कोशिशें जारी हैं। अधिकतर देशों में इस विषाणु ने बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमित किया है और आज एक भयावह आपदा की स्थिति पैदा हो चुकी है। भारत ने इस समस्या के प्रभाव व प्रसार से दक्षिणी एशिया के देशों को बचाने की दिशा में सराहनीय पहल की है तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन के सदस्य देशों के नेताओं से वीडियो के माध्यम से बातचीत की है। कहा जा सकता है कोरोना की तात्कालिक और गंभीर चुनौती को देखते हुए मोदी के प्रयास स्वागतयोग्य हैं। हालात को देखते हुए अब अमेरिका ने भी अपने नागरिकों को ज्यादा से ज्यादा घरों के अंदर रहने को कहा है। पाकिस्तान में कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. ईरान गए जायरीनों के पाकिस्तान लौटने के साथ ही वहां मरने वालों का संख्या लगातार बढ़ रहा है. पाकिस्तान में अब तक 730 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।



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