महामारी के समय मैदान छोड़ भागे निजी चिकित्सक | #AAPKIUMMID
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अजय कुमार
लखनऊ। केन्द्र की मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहां कोरोना से निपटने के लिये युद्ध स्तर पर अभियान चलाये हुये हैं, वहीं ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो मोदी-योगी के अभियान को पलीता लगाने में लगे हैं। हालात यह है कि जिनके कंधों पर कोरोना से निपटने की जिम्मेदारी वही, वही हथियार डाल चुके हैं। इसकी बानकी लखनऊ में प्राइवेट चिकित्सा देने वाले डाक्टर से बड़ी कोई और मिसाल नहीं हो सकता है। करो ना-करो ना का डर इन डाक्टरों में इतना बैठा है। इन्होंने अपने क्लीनिक अनिश्चितकाल के लिये बंद कर दिये जबकि इस समय कम से कम डाक्टरों से उम्मीद की जाती है कि वह मुसीबत की इस घड़ी में सेवा भाव के साथ काम करेंगे और बीमार लोगों की सेवा और भी गम्भीरता से करेंगे। वाक्या गत दिवस का है। सर्दी, जुखाम, बुखार के चलते कुछ लोग डाक्टरों के क्लीनिक के चक्कर लगा रहे थे। डाक्टर क्लीनिक से गायब थे।
क्लीनिक में मौजूद इन डाक्टरों का स्टाफ बस यही कह रहा था कि अभी बता नहीं सकते हैं कि कब तक डाक्टर बैठेंगे। साथ ही स्टाफ यह भी जोड़ देता कम से कम 4-5 दिन तो नहीं बैठेंगे। यह मानकर चलिये। हालात यह है जिन्हें अपने पारिवारिक डाक्टर पर काफी भरोसा था। मानकर चलते थे कि मुसीबत की घड़ी में वह हमारे काम आयेंगे लेकिन मुसीबत में डाक्टर भाग खड़े हुये। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है।
उत्तर प्रदेश योगी सरकार ऐसे चिकित्सकों के खिलाफ कार्यवाही करे जिन्होंने महामारी की इस घड़ी में अपने क्लीनिक निजी स्वार्थवश बंद कर दिये। अच्छा होता कि ऐसे डाक्टरों की सेवा ही खत्म कर दी जाती। वरना कम से कम योगी सरकार ऐसे डाक्टरों को जिम्मेदारी देते हुये सरकारी अस्पतालों में तो कुछ समय के लिये सेवारत कर ही सकते हैं, ताकि सरकारी अस्पतालों के डाक्टरों का जिम्मेदारी थोड़ी कम की जा सके और मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके, वरना मरीजों का डाक्टर से पहले ही विश्वास उठा हुआ था। इसमें और भी चार चांद लग जायेंगे।
बहरहाल सब डाक्टर एक से नहीं हैं। कई ऐसे भी हैं जो और भी ज्यादा समय अपने मरीजों को दे रहे हैं। लखनऊ के मौकापरस्त इन डाक्टरों के बारे में पड़ताल करने के लिये जब यह संवाददाता किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी चौक लखनऊ के सामने स्थित सुभाष काम्प्लेक्स में गया जहां दर्जनों की तादात में डाक्टर बैठते हैं, वहां मुश्किल से 24 डाक्टर ही मरीजों को देखते नजर आये। खासकर ईएनटी और जनरल फिजिशियन अपनी क्लीनिक पर ताला लगा रखे हैं।
आर्थोपेडिक गैस्ट्रो आदि के डाक्टर की बैठे नजर आ रहे थे। एक तरफ मोदी जी कह रहे हैं कि कोरोना से निपटने के लिये युद्ध स्तर पर जुटे हमारे डॉक्टर, सफाई, कर्मचारी, पुलिस आदि जुटे हैं। इन लोगों का 22 तारीख की शाम 5 बजे सायरन बजने पर 5 मिनट तक घरों की खिड़कियों, बालकनियों, छतों पर चढ़कर थाली, ताली आदि बजाकर उत्साहवर्द्धन किया जाय। वह निजी चिकित्सक अगर महामारी के समय अपने क्लीनिक बंद कर देता है तो इन निजी चिकित्सकों के खिलाफ क्या कार्यवाही होनी चाहिये, क्योंकि एक तरफ सरकारी डाक्टरों की छुट्टियां रद्द की जा रही हैं, तो वहीं निजी चिकित्सक क्लीनिक बन्द करके घरों में बैठे गये।
लखनऊ। केन्द्र की मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहां कोरोना से निपटने के लिये युद्ध स्तर पर अभियान चलाये हुये हैं, वहीं ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो मोदी-योगी के अभियान को पलीता लगाने में लगे हैं। हालात यह है कि जिनके कंधों पर कोरोना से निपटने की जिम्मेदारी वही, वही हथियार डाल चुके हैं। इसकी बानकी लखनऊ में प्राइवेट चिकित्सा देने वाले डाक्टर से बड़ी कोई और मिसाल नहीं हो सकता है। करो ना-करो ना का डर इन डाक्टरों में इतना बैठा है। इन्होंने अपने क्लीनिक अनिश्चितकाल के लिये बंद कर दिये जबकि इस समय कम से कम डाक्टरों से उम्मीद की जाती है कि वह मुसीबत की इस घड़ी में सेवा भाव के साथ काम करेंगे और बीमार लोगों की सेवा और भी गम्भीरता से करेंगे। वाक्या गत दिवस का है। सर्दी, जुखाम, बुखार के चलते कुछ लोग डाक्टरों के क्लीनिक के चक्कर लगा रहे थे। डाक्टर क्लीनिक से गायब थे।
अजय कुमार |
उत्तर प्रदेश योगी सरकार ऐसे चिकित्सकों के खिलाफ कार्यवाही करे जिन्होंने महामारी की इस घड़ी में अपने क्लीनिक निजी स्वार्थवश बंद कर दिये। अच्छा होता कि ऐसे डाक्टरों की सेवा ही खत्म कर दी जाती। वरना कम से कम योगी सरकार ऐसे डाक्टरों को जिम्मेदारी देते हुये सरकारी अस्पतालों में तो कुछ समय के लिये सेवारत कर ही सकते हैं, ताकि सरकारी अस्पतालों के डाक्टरों का जिम्मेदारी थोड़ी कम की जा सके और मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके, वरना मरीजों का डाक्टर से पहले ही विश्वास उठा हुआ था। इसमें और भी चार चांद लग जायेंगे।
बहरहाल सब डाक्टर एक से नहीं हैं। कई ऐसे भी हैं जो और भी ज्यादा समय अपने मरीजों को दे रहे हैं। लखनऊ के मौकापरस्त इन डाक्टरों के बारे में पड़ताल करने के लिये जब यह संवाददाता किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी चौक लखनऊ के सामने स्थित सुभाष काम्प्लेक्स में गया जहां दर्जनों की तादात में डाक्टर बैठते हैं, वहां मुश्किल से 24 डाक्टर ही मरीजों को देखते नजर आये। खासकर ईएनटी और जनरल फिजिशियन अपनी क्लीनिक पर ताला लगा रखे हैं।
आर्थोपेडिक गैस्ट्रो आदि के डाक्टर की बैठे नजर आ रहे थे। एक तरफ मोदी जी कह रहे हैं कि कोरोना से निपटने के लिये युद्ध स्तर पर जुटे हमारे डॉक्टर, सफाई, कर्मचारी, पुलिस आदि जुटे हैं। इन लोगों का 22 तारीख की शाम 5 बजे सायरन बजने पर 5 मिनट तक घरों की खिड़कियों, बालकनियों, छतों पर चढ़कर थाली, ताली आदि बजाकर उत्साहवर्द्धन किया जाय। वह निजी चिकित्सक अगर महामारी के समय अपने क्लीनिक बंद कर देता है तो इन निजी चिकित्सकों के खिलाफ क्या कार्यवाही होनी चाहिये, क्योंकि एक तरफ सरकारी डाक्टरों की छुट्टियां रद्द की जा रही हैं, तो वहीं निजी चिकित्सक क्लीनिक बन्द करके घरों में बैठे गये।