सुरेश गांधी
वाराणसी। दुनियाभर में मौत का दुसरा नाम बन चुका कोरोना का कहर अब उद्योग धंधों पर भी दिखने लगा है। इसका सबसे ज्यादा असर कारपेट इंडस्ट्री, साड़ी, रत्नाभूषण, गारमेंट्स, स्टोन, कृषि उत्पाद, हैंडीक्रैफ्ट उद्योग, टूरिज्म सहित परंपरागत क्षेत्रों से होने वाले निर्यात पर पड़ा है। इससे जुड़े कामकाज तो पूरी तरह ठप पड़ गया है। बुनाई से लेकर फिनिशिंग तक के कामकाज बंद है। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के चेयरमैन सिद्धनाथ सिंह ने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक कारपेट इंडस्ट्री को 2000 करोड़ का नुकसान हुआ है। तकरीबन 5 हजार करोड़ की कालीने गोदामों में जाम है। जबकि इसे अब तक निर्यात हो जाना चाहिए था। श्री सिंह ने बताया कि फरवरी व मार्च में सबसे अधिक निर्यात होता है, लेकिन कोरोना के चलते सारा कारोबार पर ब्रेक लग गया है। व्यसाय का सबसे बड़ा प्लेटफार्म हाई प्वांइट कारपेट फेयर, जो एटलांटा में होता है, वह भी अप्रैल तक के लिए टाल दिया गया है। दिल्ली में लगने वाला 40 वां इंडिया कारपेट एक्सपो को पहले से ही स्थगित किया हुआ है।
बता दें, यूपी के भदोही-मिर्जापुर, आगरा, राजस्थान के जयपुर, पानीपत, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर में बनने वाली कालीनें शत् प्रतिशत निर्यातपरक है। इससे 20 लाख से भी अधिक लोग प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रुप से जुड़े है। लेकिन कोरोना के चलते पिछले दो माह में बड़ी संख्या में आर्डर कैंसिल हुए हैं। ऋण संकट और सीमा शुल्क के मुद्दे से जूझ रहे निर्यातक पहले से ही निर्यात में लगातार गिरावट को लेकर चिंतित थे। अब कोरोना का वैश्विक स्तर पर प्रकोप बढ़ने से स्थिति और जटिल हो गयी है। हालात ऐसे ही बने रहे तो स्थिति और बिगड़ सकती है। काम बंद होने से कंपनी से मजदूरों को छुट्टी दे दी गयी है।
सीईपीसी के चेयरमैन ने सरकार से मांग की है घटते निर्यात कारोबार को देखते हुए दिल्ली, जर्मनी व एटलांटा में लगने वाले फेयर एवं प्रचार प्रसार पर होने वाले खर्च को खुद वहन करे। उन्होंने बताया कि सरकार इसपर पहले 60 फीसदी सब्सिडी देती थी अब शत प्रतिशत देने की जरुरत है। इसके अलावा शीपिंग से लेकर कोरियर चार्ज भी सरकार ही दें। श्री सिंह ने कहा कि यूपी सरकार बुनकरों की ऋणमाफी के साथ दो माह तक की बिजली बिल माफ करें। कम से कम 50 प्रतिशत इनकम टैक्स में छूट के ऋण पर ब्याज घटाएं वरना एनपीए तेजी से बढ़ेगा।
सीइपीसी के प्रशासनिक सदस्य उमेश गुप्ता व राजेन्द्र प्रसाद मिश्रा ने बताया कि कोरोना की वजह से अंतराष्ट्रीय खरीदार निर्यात आर्डरों की डिलीवरी रोकने के लिए कह रहे है। आने वाले दिनों में खरीदार मिली आर्डर की आपूर्ति रोकने के लिए कहेंगे और बाद में यह आर्डर रद्द भी हो सकता है। सरकार को चाहिए कि आगामी तीन माह बाद तक बैंक ब्याज माफ कराएं। क्योंकि निर्यात 60 फीसदी से भी अधिक घट गया है।
कुछ ऐसा ही साड़ी, हैंडीक्रैफ्ट, ज्वेलरी आदि कारोबारियों का कहना है। कोरोना वायरस के प्रकोप से बचाने के लिए पर्यटन स्थल, धार्मिक स्थल, स्कूल कालेज सहित सभी सार्वजनिक स्थलों को बंद कर दिया गया है। इसका सर्वाधिक असर निजी सेक्टर पर पड़ा है। होटलों में बुकिंग एक एक कर कैंसिल हो रहे है। पर्यटकों के नहीं आने से ज्यादातर होटल मालिकों ने स्टाफ को निकाल दिया है। यही हाल दिहाड़ी मजदूरों, आटो व रिक्शा चालकों सहित सभी दैनिक कामगारों की है। ये वे लोग है जो दिन में मजदूरी कर कमाएं पैसो से शाम को राशन लेकर घर जाते है।



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