जौनपुर। फर्जी बरामदगी व गिरफ्तारी दिखाना तीन पुलिसकर्मियों पर भारी पड़ गया। वादी के प्रार्थना पत्र पर न्यायालय ने तत्कालीन थानाध्यक्ष मुंगरा बादशाहपुर व दो सब इंस्पेक्टर के खिलाफ विभिन्न धाराओं में वाद दर्ज किया।उन पर दुर्भावना पूर्ण तरीके से मिथ्या साक्ष्य गढ़ने व धोखाधड़ी करने का आरोप है।
मुंगराबादशाहपुर थाना क्षेत्र के भुसौला भीखमपुर गांव निवासी रमेश चंद दुबे ने सीजेएम की अदालत में तत्कालीन थानाध्यक्ष मुंगरा बादशाहपुर लालजी यादव व दो सब इंस्पेक्टर के खिलाफ अधिवक्ता प्रवीण सिंह शोलंकी के माध्यम से केस दायर किया कि 24 अक्टूबर 2008 को पुलिसकर्मियों ने गलत ढंग से फर्जी बरामदगी दिखाते हुए उसे गिरफ्तार किया। कमांडर जीप की बरामदगी उसके पास से दिखाई जिसका नंबर जेएच 11ए 3109 था। एक अन्य वाहन की बरामदगी भी दिखाया जिसका नंबर यूपी 70 एच 3789 था। यह नंबर कमांडर जीप पर लिखा होना दिखाते हुए बरामद रजिस्ट्रेशन प्रपत्र व बरामद कमांडर जीप के इंजन और चेसिस नंबर में भिन्नता प्रदर्शित करते हुए वादी व एक अन्य आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी जालसाजी व चोरी की गाड़ी की बरामदगी आदि धाराओं में एफ आई आर दर्ज कर चालान कर दिया।
बाद में वादी जमानत पर छूटा। पुलिस ने जालसाजी करते हुए वादी के खिलाफ आरोप पत्र भी न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया। पुलिस कर्मियों का कोर्ट में बयान दर्ज हुआ। 18 सितंबर 2018 को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम की अदालत ने वादी के खिलाफ साक्ष्य न पाते हुए उसे दोषमुक्त कर दिया। जिस कमांडर जीप की बरामदगी पुलिस कर्मियों ने वादी के पास से दिखाया था उसका मालिक अरुण कुमार दुबे था। पुलिस ने गलत ढंग से दूसरा नंबर प्लेट व संदिग्ध चोरी का वाहन दिखाते हुए चालान कर दिया था। कमांडर जीप कोर्ट ने अरुण कुमार दुबे के पक्ष में रिलीज किया। थानाध्यक्ष व दोनों सब इंस्पेक्टर ने दुर्भावनापूर्ण ढंग से मिथ्या साक्ष्य करते हुए जालसाजी की और फर्जी ढंग से वादी को गिरफ्तार कर उसे दंडित करवाने का कुत्सित प्रयास किया। यहां तक कि न्यायालय में भी कूट रचित दस्तावेज दाखिल किए लेकिन कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया।



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